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Assam: सीएम हिमंत ने की नई NRC की पैरवी, फिर गरमा सकता है असम का सियासी तापमान

30 जुलाई 2018 को एनआरसी की लिस्ट जारी हुई थी। तब 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर रखने पर विवाद हुआ था। एनआरसी के उस मसौदे में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। जिसमें 2.90 करोड़ लोगों के नाम थे। फिर अगस्त 2019 में नई एनआरसी लिस्ट जारी हुई। जिसमें 3.3 करोड़ लोगों में से 19 करोड़ लोग बाहर थे।

गुवाहाटी। असम में सियासत एक बार फिर गरमा सकती है। इसकी वजह है राज्य के सीएम हिमंत बिस्व सरमा का बयान। हिमंत ने राज्य में नए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर यानी NRC की पैरवी की है। सीएम ने गुवाहाटी में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि नई एनआरसी बननी चाहिए। इस बारे में ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन यानी AASU के साथ बातचीत चल रही है। जल्दी ही इस बारे में सरकार फैसला लेगी। बता दें कि एनआरसी को सबसे पहले 1951 में बनाया गया था। असम से अवैध अप्रवासियों को बाहर निकालने के लिए इसे अपडेट किया गया। 30 जुलाई 2018 को एनआरसी की लिस्ट जारी हुई थी। तब 40 लाख से ज्यादा लोगों को बाहर रखने पर विवाद हुआ था। एनआरसी के उस मसौदे में 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था। जिसमें 2.90 करोड़ लोगों के नाम थे। फिर अगस्त 2019 में नई एनआरसी लिस्ट जारी हुई। जिसमें 3.3 करोड़ लोगों में से 19 करोड़ लोग बाहर थे।

narendra modi Himanta Biswa

हिमंत बिस्व सरमा से पहले गुरुवार को ही असम के कृषि मंत्री अतुल बोरा ने भी नई एनआरसी का मुद्दा उठाया था। बोरा ने कहा था कि राज्य सरकार इस मसले को फिर सुप्रीम कोर्ट ले जाएगी। उन्होंने कहा था कि आसू के अलावा कुछ और असमिया संगठनों से बातचीत के बाद फैसला हुआ है। बोरा का कहना था कि अगस्त 2019 में जारी एनआरसी लिस्ट को राज्य सरकार नहीं मानती है।

Assam education minister Himanta Biswa Sarma Maktab Name changed

नई एनआरसी के मामले में आसू के सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य का कहना है कि तमाम अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम अगस्त 2019 में जारी एनआरसी की लिस्ट में है और हम इनसे मुक्त एनआरसी चाहते हैं। समुज्जल ने मांग की है कि एनआरसी की लिस्ट का फिर से सत्यापन कर समस्या का हल निकल सकता है। उन्होंने केंद्र और राज्य की सरकारों से आग्रह किया कि वे एनआरसी को सही करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएं। बता दें कि रंजन गोगोई के चीफ जस्टिस रहने के दौरान असम में एनआरसी की लिस्ट आई थी। इसे लेकर तब सियासत गर्माई थी। एआईयूडीएफ के चीफ और धुबरी से सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल ने लिस्ट को गलत बताया था। अब बीजेपी की सरकार भी वही बात कर रही है।