अयोध्या : रामलला जन्मभूमि पर समतलीकरण के दौरान देखिए क्या मिला…
अयोध्या से जुड़ी कई पुरातात्विक खोजें आजतक हुई हैं मगर इस बार अयोध्या रामलला राम जन्मभूमि में समतलीकरण के दौरान कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जो वाकई अभूतपूर्व हैं।
अयोध्या। अयोध्या, राम मंदिर और भारत का गौरवमयी इतिहास ये सबकुछ हिंदुओं की भगवान राम में आस्था को मजबूत करता है। अयोध्या अपने आप में कई कहानियों को समेटे हुए है- यूं तो अयोध्या से जुड़ी कई पुरातात्विक खोजें आजतक हुई हैं मगर इस बार अयोध्या रामलला जन्मभूमि में समतलीकरण के दौरान कुछ ऐसे अवशेष मिले हैं जो वाकई अभूतपूर्व हैं।
समतलीकरण के दौरान मिली ये अद्भुत चीजें
दरअसल अयोध्या रामलला राम जन्मभूमि में समतलीकरण के दौरान मंदिर के कुछ अवशेष मिले हैं जिनमें मंदिर के आमलक , मूर्ति युक्त पाषाण के खंभे , प्राचीन कुआं , मंदिर के चौखट , जैसे साक्ष्य भी मिले हैं। गौरतलब है लॉक डाउन का पालन करते हुए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट गृभगृह में समतलीकरण का कार्य करवा रहा है। यहां पर जेसीबी से खुदाई हो रही है। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने ये भी बात कही है कि लॉकडाउन की वजह से राम मंदिर निर्माण में देरी हो रही है।
क्या है इससे पहले का पुरातात्विक इतिहास
गौरतलब है कि इससे पहले अयोध्या में विवादित स्थल को मंदिर और मस्जिद को लेकर चल रही सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने विवादित स्थल की जांच के लिए खुदाई करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से जीपीआर सर्वे कराया गया। सर्वेक्षण विभाग ने ये काम टोजो विकास इंटरनेशनल नाम की कंपनी से कराया। यहां पर खुदाई का काम अगस्त-अक्टूबर माह में कराया गया। खुदाई करने के बाद इसकी एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई। इसमें बताया गया कि वहां जमीन के अंदर कुछ इमारतों के 184 अवशेष और अन्य चीजें मिली हैं।
हाईकोर्ट ने मार्च में कहा था खुदाई करके सबूत जमा करें
कोर्ट ने हिंदु मुस्लिम पक्षों को सुनने के बाद मार्च 2003 में सिविल प्रोसीजर कोड के तहत एएसआई( भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ) विभाग को आदेश दिया कि वो वहां खुदाई करके सबूत की तलाश करें। मगर ये खुदाई संबंधित विवादित परिसर ( केवल उस स्थान को छोड़कर जहां दिसंबर 1992 में विवादित मस्जिद ध्वस्त होने के बाद से तम्बू के अंदर भगवान राम की मूर्ति रखी है) के बाहर की जाए। उसके बाद सबूत तलाशे जाए।
100 साल के इतिहास में पहला काम
एएसआई रिपोर्ट में कहा गया कि 100 साल के इतिहास में कोर्ट कमीशन के तौर पर इस तरह के काम का उसका यह पहला अनुभव है। इसी के साथ अदालत को यह भी बताया गया कि उस इलाके की इतनी गहराई तक खुदाई हो चुकी है कि अब दोबारा खुदाई के लिए कोई नया आयोग बनाना इसके लिए व्यावहारिक नहीं होगा। अदालत का निष्कर्ष यह था कि अंतिम फैसला देते समय बाकी सबूतों के साथ ही इसके निष्कर्षों पर भी विचार किया जाएगा
जब वक्फ बोर्ड ने दर्ज की आपत्ति
जब खुदाई हो गई, उसकी रिपोर्ट तैयार हो गई तब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 20 बिंदुओं पर अपनी आपत्ति दर्ज करा दी। कहा कि रिपोर्ट को सबूत के तौर पर विचार न किया जाए और उसे रद्द कर दिया जाए। जब वक्फ बोर्ड ने आपत्ति दर्ज की तब निर्मोही अखाड़ा की ओर से कहा गया कि सही स्थिति का पता करने के लिए पूरब की ओर कुछ और हिस्से में खुदाई की जा सकती है।
पहले बौद्ध एवं जैन मंदिर के मिले थे अवशेष
एएसआई ने जो अपनी विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है उसमें आसपास के अन्य स्थानों पर हुई खुदाई के दौरान भी कई चीजें मिली हैं। अदालत में हुई बहस के दौरान कहा गया कि वे बौद्ध एवं जैन मंदिर के अवशेष हो सकते हैं। इसके अलावा यहां पर कुछ जानवरों की हड्डियां और अरबी में लिखा एक पत्थर भी मिला है। इन सभी चीजों के बारे में अदालत को बताया गया।