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Uttar Pradesh: दलबदलू स्वामी प्रसाद मौर्य पर बरसीं बेबी रानी मौर्य, बताया अवसरवादी

Uttar Pradesh: बेबी रानी मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य का जिक्र कर कहा कि चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए मौर्य को करारी हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी ने एक दलित को आगे रखकर मेयर, मंत्री और राज्यपाल तक बनाया है।

नई दिल्ली। किसी ने बहुत खूब ही कहा कि सियासत महज चुनाव लड़कर विधायक या सांसद बन जाना मात्र नहीं होता है, बल्कि आप आगे चलकर अपनी गतिविधियों से खुद के लिए कैसी छवि गढ़ते हैं। इसका भी आपके सियासी जीवन पर बड़ा असर पड़ता है। वैसे तो कई मसले राजनीति में सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन विगत दिनों उत्तर प्रदेश समेत पांचों राज्यों के हुए विधानसभा चुनाव में बेशुमार मसलों के बीच में दलबदलू नेताओं को लेकर बहस देखने को मिली और इस बहस की शुरुआत किसी और ने नहीं, बल्कि चुनाव से ठीक पहले बीजेपी से रुखसत होकर समाजवादी पार्टी का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य ने की थी। उन्होंने जिस तरह से चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थामा था, उसे देखते हुए उन्हें राजनीतिक गलियारों में दलबदलू के साथ-साथ एक अवसरवादी नेता भी कहा गया था। बता दें कि अब इस दलबदलू नेता पर योगी सरकार में मंत्री बेबी रानी मौर्य ने निशाना साधा है। आइए, आगे आपको बताते हैं कि उन्होंने अपने बयान में क्या कुछ कहा है।

Baby Rani Maurya

जानें क्या बोलीं  बेबी रानी मौर्य

बेबी रानी मौर्य ने स्वामी प्रसाद मौर्य का जिक्र कर कहा कि चुनाव से पहले बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए मौर्य को करारी हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने आगे कहा कि बीजेपी ने एक दलित को आगे रखकर मेयर, मंत्री और राज्यपाल तक बनाया है। इस दौरान उन्होंने स्वामी प्रसाद मौर्य का जिक्र करते हुए कहा कि आप खुद ही देख लीजिए कि जो लोग बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए थे। आज उनकी कैसी हालत हो गई।

बेबी रानी मौर्य ने आगे अपने बयान में कहा कि वे एक अवसरवादी नेता थे, जो महज अवसर खोजने आए थे, इसलिए आज उनकी ऐसी हालत हो गई। उन्होंने कहा कि योगी सरकार ने स्वामी प्रसाद मौर्य को मंत्री तक बनाया। अब ऐसे में उन्हें महत्वाकांक्षी कहें या कुछ और कि उन्होंने चुनाव से ठीक पहले ही पाला बदल लिया। यही नहीं, उन्होंने बीजेपी को सांप और खुद को नेवला तक कह डाला था। उन्होंने बीजेपी पर जात-पात का सहारा लेकर राजनीति करने का भी आरोप लगाया था। लेकिन चुनावी नतीजों के रूप में जनता ने स्वामी प्रसाद मौर्य की झोली में हार की बारिश कर करारा जवाब दे दिया।