चेन्नई। भक्तों, संतों और बीजेपी की राज्य इकाई के तगड़े विरोध के बाद तमिलनाडु की एमके स्टालिन सरकार ने आखिरकार ‘पट्टिना प्रवेशम’ पर बैन लगाने के फैसले को पलटते हुए इसे मंजूरी दे दी है। सरकार की ओर से लगाए गए इस बैन का संत जमकर विरोध कर रहे थे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने भी कहा था कि अगर सरकार ने बैन न हटाया, तो उनकी पार्टी खुद इस कार्यक्रम को हर हाल में आयोजित करेगी। आम लोगों में भी इस सालाना उत्सव पर बैन लगाए जाने के खिलाफ भावना भड़क रही थी। हालात को देखते हुए स्टालिन सरकार को आखिर बैकफुट पर आना पड़ा।
पट्टिना प्रवेशम पर बैन के खिलाफ संतों का कहना था कि कभी किसी सरकार ने इस पर रोक नहीं लगाई। उनका कहना था कि ये परंपरा 500 साल पुरानी है और अंग्रेज सरकार के दौरान भी किसी ने इसमें हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की। यहां तक कि तमिलनाडु में पहले रही डीएमके और अन्य सरकारों ने भी पट्टिना प्रवेशम पर कोई रोक नहीं लगाई थी। संतों ने साफ कह दिया था कि स्टालिन सरकार के बैन लगाने के फैसले का वो पुरजोर विरोध करेंगे। बीजेपी भी इस मामले में कूद पड़ी थी।
There is nothing new in DMK Govt climbing down on the ‘Pattina Pravesham’ issue.
Last few days TN CM Thiru @mkstalin avl was thinking of two options – ‘Down but not out’ or ‘retired hurt’
But TN people & @BJP4TamilNadu ‘clean bowled’ his govt’s stand today!
— K.Annamalai (@annamalai_k) May 8, 2022
पट्टिना प्रवेशम पर बैन को हटाए जाने के एलान के बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई ने तंज कसते हुए कहा है कि बैन का फैसला वापस लेना तो था ही। उन्होंने कहा कि पिछले कई दिनों से स्टालिन सोच रहे थे कि हम गिर जाएं, लेकिन आउट न हों या फिर रिटायर्ड हर्ट हो जाएं। अब तमिलनाडु की जनता और बीजेपी ने दिखा दिया है कि उसने इस मामले में सरकार को क्लीन बोल्ड कर दिया है। स्टालिन सरकार की ओर से बैन खत्म होने के बाद अब पट्टिना प्रवेशम की परंपरा 22 मई को होगी। इस दिन भक्त संतों को पालकी पर बिठाकर मठ में ले जाते हैं।