newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

लोगों को गुमराह कर बांद्रा रेलवे स्टेशन पर भारी भीड़ इकट्ठा करने वाला आरोपी गिरफ्तार

इस पूरी घटना पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सूरत में हाल में कुछ मजदूरों ने दंगा किया था।

नई दिल्ली। लॉकडाउन के बीच 14 अप्रैल की शाम मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर 1500 से ज्यादा लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी, जिसके बाद पुलिस प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। इसको लेकर मुंबई पुलिस ने अब एक शख्स को हिरासत में लिया है, जिसका नाम विनय दुबे है। आपको बता दें कि विनय दुबे को नवी मुंबई पुलिस ने हिरासत में लिया और मुंबई पुलिस को सौंप दिया है।

Bandra West railway station

विनय दुबे पर आरोप है कि उसने मजदूरों को गुमराह किया जिसके कारण बांद्रा स्टेशन पर लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई। विनय दुबे ‘चलो घर की ओर’ कैंपेन चला रहा था। अपने फेसबुक पर शेयर किए गए पोस्ट में उसने टीम के बांद्रा में होने की बात कही थी। इस मामले में पुलिस ने एक हजार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। दुबे के खिलाफ आईपीसी की धारा 117, 153 ए, 188, 269, 270, 505(2) और एपिडेमिक एक्ट की धारा 3 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।

vinay dubey

गौरतलब है कि मंगलवार को मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन पर प्रवासी मजदूरों की भारी भीड़ इकट्ठा हो गई थी। ये सभी मजदूर घर जाने के लिए स्टेशन पहुंचे थे। मजदूरों को उम्मीद थी कि लॉकडाउन खत्म हो जाएगा। उन्हें हटाने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था। हालांकि अब वहां से प्रवासी मजदूरों को हटा दिया गया है। पूरे देश में 3 मई तक के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया गया है।

Bandra West railway station

इस घटना पर गृह मंत्री अमित शाह ने चिंता जताई। उन्होंने कहा कि कोरोना के खिलाफ जारी लड़ाई के बीच ये ठीक नहीं है। इस संबंध में उन्होंने सीएम उद्धव ठाकरे से फोन पर बातचीत की। वहीं, उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार इन मजदूरों का इंतजाम करेगी। उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है।

Amit Shah and Uddhav Thackeray

इस पूरी घटना पर महाराष्ट्र सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे ने ट्वीट किया और केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सूरत में हाल में कुछ मजदूरों ने दंगा किया था। केंद्र सरकार उन्हें घर पहुंचाने को लेकर फैसला नहीं ले पाई। आदित्य ठाकरे ने कहा कि प्रवासी मजदूर खाना और शेल्टर नहीं चाहते हैं, वे घर जाना चाहते हैं।