रांची। झारखंड में रिजवर्वेशन बढ़ाने के लिए हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा में बिल तो पास करा लिया, लेकिन फिलहाल युवाओं को इसका फायदा मिलने वाला नहीं है। मसला ये है कि रिजर्वेशन 50 फीसदी से ज्यादा दिया नहीं जा सकता। साथ ही हर वर्ग के लिए आरक्षण की सीमा भी तय है। इसमें किसी भी बदलाव के लिए संविधान संशोधन करना होगा। इस संशोधन के लिए केंद्र सरकार को बिल लाना होगा और संसद के दोनों सदनों से पास कराने के बाद ही रिजर्वेशन की सीमा बढ़ सकेगी। गौर से सभी पहलुओं को समझें, तो रिजर्वेशन बढ़ाने के बिल को पास कराना सोरेन सरकार की बीजेपी के खिलाफ सियासत ही मानी जा सकती है।
झारखंड में अभी अनुसूचित जनजाति को 26 फीसदी, अनुसूचित जाति को 10 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी रिजर्वेशन मिलता है। सोरेन सरकार ने विधानसभा से जो बिल पास कराया है, उसके मुताबिक अनुसूचित जनजाति को 28 फीसदी, अनुसूचित जाति को 12 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी रिजर्वेशन देने की बात है। इसमें भी अत्यंत पिछड़ों को 15 और पिछड़े वर्ग को 12 फीसदी रिजर्वेशन मिलेगा। कुल रिजर्वेशन की बात कर लें, तो ये सारे आंकड़े मिलाकर 77 फीसदी हो जाते हैं। जो 50 फीसदी की तय सीमा से 22 फीसदी ज्यादा है।
ऐसे में जब बिल को गवर्नर के पास भेजा जाएगा, तो पहले वहां से ही आपत्ति लग सकती है। अगर गवर्नर आपत्ति न भी करें, तो उनको संविधान संशोधन के लिए बिल को केंद्र सरकार को भेजना होगा। वहां संसद से पास होने के बाद राष्ट्रपति जब साइन कर देंगे, तभी बढ़ा हुआ और संशोधित रिजर्वेशन झारखंड में लागू हो सकेगा। ऐसे में फिलहाल इस बिल के पास होने पर सोरेन सरकार अपनी पीठ भले ही ठोक रही हो, लेकिन इसके लागू होने की राह में अड़चनों का अंबार खड़ा है। हां, बिल के जरिए बीजेपी को घेरने में सोरेन सरकार को फायदा जरूर मिलेगा।