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पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के विवादित बोल, ‘आक्रामक राष्‍ट्रवाद है कोरोना से बड़ी महामारी’

Former Vice President Hamid Ansari: देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Former Vice President Hamid Ansari) ने एक बार फिर विवादित टिप्पणी की है। दरअसल पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा है कि आज हमारा देश कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के अलावा दो और महामारी से जूझ रहा है।

नई दिल्ली। देश के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (Former Vice President Hamid Ansari) ने एक बार फिर विवादित टिप्पणी की है। दरअसल पूर्व उपराष्ट्रपति ने कहा है कि आज हमारा देश कोरोनावायरस (Coronavirus) महामारी के अलावा दो और महामारी से जूझ रहा है। इस महामारी से हमें कोरोना से कहीं ज्यादा खतरा दिख रहा है। उन्होंने कहा है कि भारत धार्मिक कट्टरता और आक्रामक राष्ट्रवाद का शिकार हो चुका है। जबकि इन दोनों के मुकाबले देशप्रेम अधिक सकारात्मक अवधारणा है। देश प्रेम सैन्य और सांस्कृतिक रूप से कहीं ज्यादा रक्षात्मक है। उन्होंने यह बयान कांग्रेस सांसद शशि थरूर की नई पुस्तक ‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’ के डिजिटल विमोचन के मौके पर कही।

Hamid Ansari

आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब उन्होंने विवादित बयान दिया हो। इससे पहले भी पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी कई बार अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे हैं। बता दें कि दिल्ली में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि 1947 में हुए विभाजन के लिए सिर्फ पाकिस्‍तान ही जिम्‍मेदार नहीं है, बल्कि भारत भी इसमें जिम्‍मेदार था। अंसारी ने कहा कि, ‘हम ये मानने को तैयार नहीं है कि विभाजन के लिए हम भी बराबर के जिम्‍मेदार हैं।’

इसके अलावा मुस्लिमों के भारत में असुरक्षित महसूस करने से जुड़ा बयान हो या फिर योग दिवस पर कार्यक्रम में शामिल न होना। फिर चाहे वंदे मातरम गाने को लेकर अपने बयान की वजह से भी पूर्व उपराष्ट्रपति चर्चा में आ चुके है। उनके मुताबिक, चार सालों की अल्प अवधि में भी भारत ने एक उदार राष्ट्रवाद के बुनियादी नजरिए से सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की एक ऐसी नयी राजनीतिक परिकल्पना तक का सफर तय कर लिया जो सार्वजनिक क्षेत्र में मजबूती से घर कर गई है।

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वहीं इस दौरान जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा, 1947 में हमारे पास मौका था कि हम पाकिस्तान के साथ चले जाते, लेकिन मेरे वालिद और अन्य लोगों ने यही सोचा था कि दो राष्ट्र का सिद्धांत हमारे लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार देश को जिस तरह से देखना चाहती है उसे वह कभी स्वीकार नहीं करने वाले हैं।