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Akhilesh On Target: सपा में परिवारवाद पर अब भीम आर्मी चीफ का निशाना, पहले कह चुके हैं- अखिलेश ने किया दलितों का अपमान

अखिलेश से चंद्रशेखर आखिर नाराज क्यों हुए हैं। वजह ये है कि चंद्रशेखर पहले सपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। कई दौर में अखिलेश से उनकी बातचीत भी हुई थी। सपा के सूत्रों के अनुसार चंद्रशेखर अपनी पार्टी के लिए कम से कम 12 सीटें लेना चाहते थे।

नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी यानी सपा के प्रमुख अखिलेश यादव पर अब भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर ने फिर निशाना साधा है। चंद्रशेखर ने बीते दिनों कहा था कि अखिलेश ने दलितों का अपमान किया। अब उन्होंने सपा मुखिया के यहां परिवारवाद को अपने निशाने पर लिया है। परिवारवाद पर निशाना साधकर चंद्रशेखर ने जता दिया है कि अब वो सपा के खिलाफ चुनावी जंग को हर कोण से लड़ना और जीतना चाहते हैं। चंद्रशेखर ने ट्वीट करते हुए लिखा है, “विरासत से तय नहीं होंगे सियासत के फैसले,, ये तो उड़ान तय करेगी,, आसमान किसका है। जय भीम।” उन्होंने इस ट्वीट से ये भी संकेतों में अखिलेश से कहा है कि चुनाव के बाद पता चलेगा कि आखिर जीतता कौन है। बता दें कि पश्चिमी यूपी में काफी दलित वोटर हैं और चंद्रशेखर की कई इलाकों के ऐसे वोटरों पर अच्छी पकड़ है।

अब आपको बताते हैं कि अखिलेश से चंद्रशेखर आखिर नाराज क्यों हुए हैं। वजह ये है कि चंद्रशेखर पहले सपा के साथ गठबंधन करना चाहते थे। कई दौर में अखिलेश से उनकी बातचीत भी हुई थी। सपा के सूत्रों के अनुसार चंद्रशेखर अपनी पार्टी के लिए कम से कम 12 सीटें लेना चाहते थे। अखिलेश इस पर राजी नहीं थे। अखिलेश ने दो दिन पहले मुलाकात करने आए चंद्रशेखर से साफ कह दिया कि वो 3 सीटों से ज्यादा नहीं दे सकते और इनमें से 2 सीटों पर भी सपा के ही सिंबल पर उन्हें अपने उम्मीदवार लड़ाने पड़ेंगे। चंद्रशेखर को यही बात नागवार लग गई। जिसके बाद उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधना शुरू कर दिया।

Akhilesh Yadav Yogi Adityanath Mayawati

चंद्रशेखर ने अखिलेश के सामने चुनौती तो दे दी है, लेकिन पश्चिमी यूपी के दलितों में बीएसपी चीफ मायावती और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद की भी अच्छी पैठ है। ऐसे में एक मुश्त दलित वोट सपा की ओर ट्रांसफर होगा, ये कहना अभी मुश्किल दिख रहा है। वहीं, बीजेपी भी मैदान में उतरी है। उसने भी अब तक घोषित 105 सीटों में से 19 दलितों को टिकट दिया है। ऐसे में दलितों और पिछड़ों की बात तो अखिलेश यादव कर रहे हैं और बीजेपी से भी उन्होंने पिछड़ी जाति के नेताओं को तोड़ा है, लेकिन अपने इरादे में वो सफल होंगे, अभी हालात को देखकर ये इतना आसान नहीं दिखता।