अयोध्या। नेपाल की गंडकी नदी से निकाली गई शालिग्राम शिला की दो बड़ी चट्टानें आज दोपहर को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण स्थल पहुंचने वाली हैं। जिसके बाद इनकी पूजा-अर्चना की जाएगी। पूजा-अर्चना के बाद श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के लोग संतों के साथ अहम बैठक करेंगे। इस बैठक में तय होगा कि शालिग्राम शिला की चट्टानों का किस तरह इस्तेमाल करना है। इससे पहले खबर आई थी कि शालिग्राम शिलाओं से रामलला और माता सीता की मूर्तियां बनाई जाएंगी। अब बैठक में तय होने की बात से लग रहा है कि ट्रस्ट इस मामले में संतों की राय के हिसाब से ही चलने की तैयारी कर रहा है।
नेपाल में गंडकी नदी से निकाली गई शिलाओं को उसी रास्ते से अयोध्या लाया गया है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसी से होकर त्रेता युग में राजा जनक के दरबार में भगवान राम, माता सीता से विवाह करने गए थे। गंडकी नदी से शालिग्राम शिलाओं को निकालने के बाद दो बड़े ट्रकों में रखकर गोरखपुर के रास्ते अयोध्या लाया जा रहा है। गोरखपुर में इन शिलाओं को प्रसिद्ध गोरखनाथ मठ में लोगों के दर्शन के लिए रखा गया था। जहां शिलाओं के दर्शन और पूजा करने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ी थी। ऐसी ही भीड़ नेपाल से लेकर अयोध्या तक के रास्ते पर दिख रही है। नेपाल में भी हजारों लोगों ने शालिग्राम शिलाओं के दर्शन और पूजन का लाभ उठाया था।
अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर तेजी से तैयार हो रहा है। इसके भूतल का काम 70 फीसदी से ज्यादा पूरा हो चुका है। श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बीते दिनों बताया था कि मंदिर के भूतल का काम दिसंबर 2023 तक पूरा कर लिया जाएगा। भगवान रामलला की प्रतिष्ठा जनवरी 2024 में की जाएगी। बताया जा रहा है कि 14 जनवरी 2024 को मकर संक्रांति के पर्व पर प्रतिमा की प्रतिष्ठा होगी। इसी प्रतिमा को शालिग्राम शिला से बनाने की बात कही जा रही है।