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बिहार चुनाव से पहले NDA के इस पूर्व सहयोगी की होगी ‘घर वापसी’, महागठबंधन को बड़ा झटका!

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा(HAM) के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि नीतीश कुमार(Nitish Kumar) के नेतृत्व में बिहार(Bihar) में विकास की बयार बह रही है और एनडीए अच्छा काम कर रहा है।

नई दिल्ली। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को बड़ा झटका लगा है। राज्य में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए NDA की एक पूर्व सहयोगी पार्टी ने महागठबंधन की जगह NDA में शामिल होना बेहतर समझा है। बता दें कि महागठबंधन से अलग होने के बाद बिहार के पूर्व CM और हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी अब गुरुवार को जेडीयू के साथ अपने गठबंधन का ऐलान करेंगे।

nitish kumar

 

मांझी के इस कदम को लेकर पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे कि, महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद वह जल्द ही एनडीए में शामिल हो सकते हैं।  माना जा रहा है कि मौजूदा सीएम नीतीश कुमार की वजह से मांझी की वापसी हुई है। बता दें कि जीतन राम मांझी की नीतीश कुमार के साथ जाने की आधिकारिक पुष्टि हो चुकी है।

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के 3 सितंबर को जेडीयू के साथ गठबंधन का ऐलान होगा। हालांकि, इस बात के भी कयास लगाए जा रहे थे कि जीतन राम मांझी अपनी पार्टी का विलय जेडीयू में कर सकते हैं, लेकिन अब गठबंधन की पुष्टि होने के साथ इन सारे कयासों पर विराम लग चुका है। सूत्रों की मानें तो जीतनराम मांझी की जेडीयू के साथ डील फाइनल हो गई है।

jitan ram manjhi and nitish kumar

इस डील में नीतीश कुमार अपने कोटे से मांझी को नौ सीट देंगे, जिस पर मांझी राजी हो गए हैं। जेडीयू के साथ गठबंधन के बाद मांझी की एक तरीके से घर वापसी होगी, क्योंकि मांझी जेडीयू में ही रहे और फिर अपनी पार्टी बनाकर एनडीए के साथ मिलकर पिछला चुनाव लड़े थे। दरअसल, 2014 लोकसभा चुनाव में बुरी तरीके से हारने के बाद नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, जिसके बाद उन्होंने जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बनाया था।।

हालांकि, करीब 9 महीने के बाद वह मांझी को हटाकर खुद सीएम बन गए थे। इसके बाद मांझी ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी। 2015 का विधानसभा चुनाव मांझी ने एनडीए के साथ लड़ा था, लेकिन महज एक सीट ही जीत सके थे। इसके बाद उन्होंने महागठबंधन से हाथ मिला लिया था। 2019 का लोकसभा चुनाव मांझी ने महागठबंधन के साथ मिलकर लड़ा था।

महागठबंधन से मांझी के अलग होने के पीछे कारण ये है कि वहां उनकी बात नहीं मानी गई। दरअसल जीतन राम मांझी ने महागठबंधन में रहते हुए समन्वय समिति बनाने की मांग उठाई थी ताकि यह कमेटी फैसला ले सके कि चुनाव की रणनीति क्या होगी और मुख्यमंत्री चेहरा कौन होगा। उनकी इस मांग को को आरजेडी ने खारिज कर दिया तो नाराज होकर उन्होंने 22 अगस्त को महागठबंधन से नाता तोड़ लिया था। इसके बाद 27 अगस्त को मांझी ने नीतीश कुमार से मुलाकात की थी। इसके बाद से माना जा रहा था कि जल्द ही एनडीए में शामिल हो सकते हैं।

jitan ram manjhi

हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रवक्ता दानिश रिजवान ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में विकास की बयार बह रही है और एनडीए अच्छा काम कर रहा है। ऐसे में अगले 24 घंटे में उनकी पार्टी गठबंधन को लेकर पूरी स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। इससे साफ है कि मांझी अब जेडीयू के साथ जाने का मन बना चुके हैं और गुरुवार को इस बात पर मुहर लग जाएगी।