नई दिल्ली। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने उद्योगपतियों का लाखों करोड़ का कर्ज माफ करने का मुद्दा उठाकर बीजेपी को घेरा था। अब बीजेपी ने केजरीवाल के इन आरोपों पर उन्हें अपने पलटवार का निशाना बनाया है। बीजेपी कह रही है कि केजरीवाल को कर्ज माफ करने और कर्ज को बट्टे खाते में डालने के अलग-अलग नियमों का पता नहीं है। वो बट्टे खाते में डाली गई कर्ज की रकम को कर्जमाफी करार दे रहे हैं। पहले जान लीजिए कि केजरीवाल ने क्या आरोप लगाया था। केजरीवाल ने शुक्रवार यानी कल एक अखबार की खबर का हवाला देते हुए ट्वीट किया था कि अगर चंद अमीरों और दोस्तों का टैक्स माफ न किया होता तो आज गरीबों के खाने-पीने पर टैक्स न लगाना पड़ता। उन्होंने बीजेपी पर तंज कसते हुए ये भी लिखा था कि परिवारवाद और दोस्तवाद ने देश को बर्बाद कर दिया।
अगर चंद अमीरों और दोस्तों का टैक्स माफ़ ना किया होता तो आज ग़रीबों के खाने-पीने पर टैक्स ना लगाना पड़ता। परिवारवाद और दोस्तवाद ने देश को बर्बाद कर दिया। pic.twitter.com/6aoq2murY8
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) August 12, 2022
केजरीवाल के इसी आरोप पर बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने ट्वीट्स की झड़ी लगाते हुए पलटवार किया। शहजाद ने 7 ट्वीट किए। इन ट्वीट में उन्होंने कहा कि आप और कांग्रेस पार्टी तमाम बार बताने के बाद भी मूल बात नहीं समझ पा रहे हैं और लोगों को बट्टे खाते और कर्जमाफी के मामले में गलत जानकारी दे रहे हैं। शहजाद ने ये भी लिखा कि दुख की बात है कि मीडिया भी केजरीवाल से इस बारे में पलटकर सवाल नहीं कर रही है। शहजाद ने लिखा है कि खाते में राइट ऑफ यानी कर्ज को बट्टे खाते में डालने का मतलब कर्जमाफी नहीं होता। रिजर्व बैंक के निर्देश पर बैंक ऐसे कर्जदारों का एनपीए अलग खाते में डालकर उनसे वसूली करता रहता है।
RBI data also shows that not only has the amount written off by PSBs fallen since 2018-19, amount recovered from written-off accounts has increased over that period. Gross NPA ratio of PSBs has fallen over time, from 14.6% as on March 31, 2018 to 7.4% as on March 31, 2022. 4/n
— Shehzad Jai Hind (@Shehzad_Ind) August 12, 2022
शहजाद ने ये भी लिखा है कि पिछले 8 साल में मोदी सरकार के दौरान बैंकों ने 8.6 लाख करोड़ के ऐसे कर्ज वसूले, जो एनपीए हो चुके थे। यानी कोई कर्जमाफी नहीं दी जा रही है। उन्होंने ये भी बताया कि बैंकों का एनपीए भी ऐसे में घटकर इस साल 31 मार्च तक 14.6 फीसदी से 7.4 फीसदी हो गया है। शहजाद ने ट्वीट में लिखा है कि यूपीए सरकार के दौरान रिजर्व बैंक के गवर्नर रहे रघुराम राजन तक ने बताया था कि उस सरकार के दौरान किस तरह रेवड़ी की तरह कर्ज बांटा गया। इसके अलावा उन्होंने रिजर्व बैंक के आंकड़ों का चार्ट जारी किया और ये बताया कि मोदी सरकार के दौरान बैंकों से होने वाले फ्रॉड भी घटे हैं। शहजाद ने लिखा कि जब केजरीवाल से उनके ‘पार्थ’ यानी सत्येंद्र जैन, मनीष सिसौदिया और अन्य घोटालों के बारे में सवाल पूछे जाते हैं, तो वो जवाब दे नहीं पाते और मुद्दे को दूसरी तरफ घुमाने की कोशिश करते हैं।