Presidential Election: विपक्षी खेमे में लगी पहली सेंध, बसपा सुप्रीमो मायावती ने राष्ट्रपति चुनाव को लेकर किया बड़ा ऐलान

Presidential Election: जहां एक तरफ एनडीए ने आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार है।वहीं दूसरी तरफ विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा मैदान में उतर चुके हैं। 24 जून को द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपना नामांकन भी दाखिल कर चुकी हैं।

Avatar Written by: June 25, 2022 12:41 pm

नई दिल्ली। देश में राष्ट्रपति चुनाव को लेकर गहमागहमी काफी तेज हो गई है। जहां एक तरफ एनडीए ने आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतार है।वहीं दूसरी तरफ विपक्ष की तरफ से यशवंत सिन्हा मैदान में उतर चुके हैं। 24 जून को द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनावों के लिए अपना नामांकन भी दाखिल कर चुकी हैं। इसी बीच अब विपक्ष को तगड़ा झटका लगा क्योंकि द्रौपदी मुर्मू के आते ही विपक्ष में सेंधमारी शुरू हो गई है। दरअसल मायावती ने द्रौपदी मुर्मू को लेकर बड़ा ऐलान किया है जो विपक्ष के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है।

मायावती का बड़ा ऐलान

बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुले तौर पर एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने का ऐलान किया है। मायावती ने ऐलान करते हुए कहा है कि हमने राष्ट्रपति चुनावों में एनडीए की आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू  का समर्थन करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि ये फैसला हमने अपने पार्टी और आंदोलन को ध्यान में रखते हुए लिया है। हमारा फैसला न तो बीजेपी के पक्ष में है और न ही एनडीए के पक्ष में है। ये फैसला हमने पार्टी के आदर्शों को ध्यान में रखते हुए लिया है। बता दें कि लोकसभा में उनकी पार्टी के 10 सांसद हैं और समर्थन के बाद द्रौपदी मुर्मू का पक्ष और भी ज्यादा मजबूत हो गया है।

विपक्ष को लग सकता है जोरदार झटका

बता दें कि मायावती की पार्टी बसपा दलितों के अधिकारों और उनके लिए लड़ती आई है। ये पार्टी एक आंदोलन के बाद बनी पार्टी थी। वहीं एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं और हमेशा से अपने समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ती आई हैं और उन्हीं के लिए काम भी करती आई हैं। ऐसे में बसपा के लिए ये फैसला लेना कि वो किसका समर्थन करे..ये मुश्किल नहीं रहा होगा।  मायावती का ये फैसला सीधे तौर पर विपक्ष के पक्ष को कमजोर करने का काम करेगा।

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