कैबिनेट ने कोरोनावायरस से लड़ने 15000 करोड़ रुपये का पैकेज मंजूर किया

पहले चरण के तहत, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों के सहयोग से पहले से ही कई गतिविधियों का संचालन किया है। 3000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मौजूदा स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत करने, कोविड समर्पित अस्पतालों, समर्पित कोविड स्वास्थ्य सुविधाओं इत्यादि के लिए जारी किए गए हैं।

Avatar Written by: April 22, 2020 7:15 pm

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ‘कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया और स्वास्थ्य प्रणाली की तैयारी के तहत’ 15,000 करोड़ रुपये के पैकेज को स्वीकृति दी है। फंड का इस्तेमाल तीन चरणों में किया जाएगा, जबकि कोविड-19 आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रावधान के तहत 7,774 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सरकार ने बुधवार को कहा कि बाकी बची राशि का इस्तेमाल अगले एक से चार वर्ष के लिए मीडियम-टर्म सपोर्ट के लिए किया जाएगा, जिसे मिशन मोड अप्रोच के तहत मुहैया कराया जाएगा।

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सरकार की ओर से जारी बयान के अनुसार, “पैकेज का मुख्य उद्देश्य निदान और कोविड समर्पित इलाज सुविधाओं को विकसित कर कोविड-18 को धीमा और सीमित करने के लिए आपात प्रतिक्रिया को बढ़ाना, संक्रमित रोगियों के इलाज के लिए आवश्यक चिकित्सा उपकरणों और दवाओं की केंद्रीकृत खरीद, भविष्य में महामारी के प्रकोप के लिए रोकथाम और तैयारियों को मजबूत बनाने वाली राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत बनाना, प्रयोगशालाओं को स्थापित करना और निगरानी गतिविधियों, जैव सुरक्षा तैयारी, महामारी रिसर्च को मजबूत करना तथा सक्रियता के साथ समुदाय को जोड़ना और जोखिम संचार गतिविधियों को आयोजित करना शामिल हैं।”

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ये सभी पहलें स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तत्वाधान में लागू होंगी। पहले चरण के तहत, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अन्य मंत्रालयों के सहयोग से पहले से ही कई गतिविधियों का संचालन किया है। 3000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त फंड राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को मौजूदा स्वास्थ्य सुविधा को मजबूत करने, कोविड समर्पित अस्पतालों, समर्पित कोविड स्वास्थ्य सुविधाओं इत्यादि के लिए जारी किए गए हैं।

भारत की जांच सुविधाओं के बारे में बात करते हुए, सरकार ने कहा, “डायग्नोस्टिक लैब्रोटरी नेटवर्क का विस्तार किया गया है और जांच क्षमता को प्रतिदिन बढ़ाया जा रहा है।”

सरकार ने कहा, “सभी स्वास्थ्यकर्मियों, जिसमें सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा वर्कर्स) भी शामिल हैं, उनका बीमा किया गया है। पीपीई, एन 95 मास्क, वेंटीलेटर, टेस्टिंग किट और इलाज के लिए दवाइयों को खरीदा जा रहा है।”

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कैबिनेट की बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने की और इस दौरान महामारी रोग अधिनियम, 1987 में संशोधन को भी मंजूरी दी गई, ताकि मेडिकल के क्षेत्र में काम करने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और उनके ऊपर किसी भी तरह के हमले को गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में लाया जा सके।