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Artificial Rain In Delhi: दिल्ली में वायु प्रदूषण खत्म करने के लिए कृत्रिम बारिश कराई जाएगी?, सीपीसीबी ने कहा…

Artificial Rain In Delhi: देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में काफी वायु प्रदूषण है। इस प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कृत्रिम बारिश कराने की मांग की थी। अब केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी ने इस बारे में अपनी राय दी है।

नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में काफी वायु प्रदूषण है। इस प्रदूषण को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर कृत्रिम बारिश कराने की मांग की थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं दिख रहा है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यानी सीपीसीबी ने साफ कह दिया है कि दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराना संभव नहीं है। हिंदी अखबार अमर उजाला के मुताबिक सीपीसीबी ने कहा है कि दिल्ली की हवा में पर्याप्त नमी नहीं है। साथ ही पश्चिमी विक्षोभ के कारण बादल भी अभी आसमान में नहीं दिख रहे हैं। ऐसे में कृत्रिम बारिश के लिए क्लाउड सीडिंग नहीं की जा सकती।

सीपीसीबी ने कह दिया है कि क्लाउड सीडिंग कर दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने में काफी खर्च भी होगा। अगर दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराई जाती है, तो 100 वर्ग किलोमीटर के इलाके के लिए 3 करोड़ का खर्च होने का अनुमान है। दिल्ली में कृत्रिम बारिश कराने के लिए 8 नवंबर को आईआईटी कानपुर की टीम ने दिल्ली सरकार के सामने प्रजेंटेशन भी दिया गया था। आईआईटी कानपुर इससे पहले 2017 में कृत्रिम बारिश कराने के लिए क्लाउड सीडिंग का सफल प्रयोग कर चुका है। ऐसे में दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को चिट्ठी लिखकर राजधानी में कृत्रिम बारिश के लिए उसकी मदद लेने की मांग की थी। अब सीपीसीबी ने चूंकि साफ कर दिया है कि दिल्ली का मौसम कृत्रिम बारिश कराने लायक नहीं है, ऐसे में दिल्ली में फिलहाल प्रदूषण से मुक्ति का एक ही उपाय है कि हवा की रफ्तार तेज हो।

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दिल्ली और आसपास दिवाली के पहले से ही काफी प्रदूषण है। एयर क्वालिटी इंडेक्स तो बीच में 500 को पार कर गया था। वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली और आसपास धुंध की चादर है। दिल्ली में हर साल ठंड की शुरुआत से ही वायु प्रदूषण बढ़ने लगता है। पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसानों के खेतों में पराली जलाई जाती है। साथ ही डीजल से चलने वाले अन्य राज्यों के वाहन दिल्ली आते हैं। इन दोनों का ही राजधानी और आसपास के इलाकों में प्रदूषण बढ़ाने में बड़ा हाथ होता है।