नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। लोगों की आस्था से जुड़े राममंदिर को भव्यता देने के लिए हर विचार पर अध्ययन चल रहा है। बता दें कि इस मंदिर की नींव को मजबूत बनाने या फिर मंदिर को टिकाए रखने के लिए नींव की उम्र कैसे दीर्घायु हो, इसके लिए भारत के वैज्ञानिक, प्रोफेसर, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी रुड़की, आईआईटी गोहाटी, आईआईटी चेन्नई, आईआईटी मुंबई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी सूरत, सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट रुड़की, सीपीआरआई रुड़की, टाटा और लार्सन टुब्रो के इंजीनियर्स सामूहिक विचार विमर्श में लगे हुए हैं। बता दें कि इसकी जानकारी श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय ने दी। चंपत राय ने बताया कि, नेशनल जियो टेक्नोलॉजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (NGRI) हैदराबाद की टीम अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की जमीन की गहराई 200 फीट अंदर तक कर रही है। ऐसे में भूकंप झटकों से मंदिर को बचाने के लिए हरसंभव बेहतर काम पर गौर किया जा रहा है।
इसके अलावा सरयू नदी की जलप्रवाह की धरती के अंदर तलहटी का गहन अध्ययन हो रहा है। बता दें कि जल्द ही मजबूत नींव की डिजाइन फाइनल हो जाने की पूर्ण आशा है। चंपत राय ने कहा कि, सम्भवतः मकर संक्रांति तक एक मजबूत नींव के डिजाइन तैयार हो जाएगा। उन्होंने कहा कि अध्ययन करने पर पता चला कि मंदिर स्थान पर बलुई मिट्टी है जोकि 70 मीटर तक है।
चंपत राय ने कहा कि हम सभी कहते थे कि ये मंदिर अनेकों बार तोड़ा गया, उसका अब प्रमाण भी मिल रहा है। आज के वर्तमान धरातल से नीचे 50 फीट तक मलबा भरा है। ये 50 फीट का मलबा आखिर कहां से आ गया? इसके साथ ये भी प्रमाण मिले हैं कि यहां कभी न कभी सरयू का जलप्रवाह था। ऐसा इसरो के फोटोग्राफ बताते हैं। इसलिए नींव की डिजाइन बनाने के लिए इसरो और अन्य तकनीकी बातों पर विचार किया जा रहा है। वहीं नींव में इस्तेमाल होने वाले सीमेंट को लेकर चंपत राय ने कहा कि सीमेंट की आयु बहुत थोड़ी है, लगभग 150 वर्ष। इसके बाद सीमेंट की आयु खत्म हो जाती है। इसलिए सीमेंट की आयु बढ़ाने का काम किया जा रहा है। इस पर विचार किया जा रहा है कि कैसे इसे 300 से 400 वर्ष तक बढ़ाया जाए।
चंपत राय ने कहा कि, दूसरी महत्वपूर्ण बात- मंदिर का प्रारूप (ड्रॉइंग) अब बड़ा किया गया है। राममंदिर अब 360 फीट लंबा बनेगा, 235 फीट चौड़ा बनेगा। जिसमें जमीन से शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी और ये तीन मंजिला इमारत होगी जिसमें लगभग 4 लाख घनफिट पत्थर लगेगा। उन्होंने कहा कि, जमीन से जब लोग दर्शन करने जाएंगे तो उन्हें करीब 32 सीढ़िया मिलेंगी। यानी साढ़े 16 फीट। ये सड़क से फर्श का लेवल होगा। वहीं बुजुर्ग औरदिव्यांग जनों के लिए लिफ्ट/एस्केलेटर वगैरह बनाने पर विचार हो रहा है। चंपत राय ने कहा कि मंदिर का परकोटा (बाउंड्री)करीब 5 एकड़ के आसपास होगा और शेष 65 एकड़ जमीन में क्या क्या बने इसकी बात तय हो चुकी है।