newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

Uttarakhand: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलने की अटकलें तेज, दिल्ली पहुंचे सीएम त्रिवेंद्र सिंह

Uttarakhand: दिल्ली पहुंचे सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि, मैं नहीं जानता कि आप (मीडिया) क्या कह रहे हैं लेकिन मैंने राष्ट्रीय पार्टी के नेतृत्व से समय मांगा है। मैं उनसे मिलने जाऊंगा जब वे मुझे बुलाएंगे।

नई दिल्ली। उत्तराखंड (Uttarakhand) में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार को लेकर सियासी सरगर्मियां और तेज हो गई हैं। उत्तराखंड के कई विधायकों की नाराजगी के कारण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (CM Trivendra Singh Rawat) की कुर्सी पर खतरा बरकरार है। इस बीच देहरादून से वापसी के बाद छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह और राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम ने बतौर ऑब्जर्वर अपनी रिपोर्ट भाजपा आलाकमान को सौंप दी है। इस रिपोर्ट पर अब मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत बीजेपी नेतृत्व के सामने अपना पक्ष रखने के लिए आज दिल्ली पहुंच गए हैं। वहीं दिल्ली पहुंचे सीएम त्रिवेंद्र सिंह ने कहा कि, मैं नहीं जानता कि आप (मीडिया) क्या कह रहे हैं लेकिन मैंने राष्ट्रीय पार्टी के नेतृत्व से समय मांगा है। मैं उनसे मिलने जाऊंगा जब वे मुझे बुलाएंगे।

खबरों की मानें तो, भाजपा राज्य में सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को बदलकर उनकी जगह किसी नए चेहरे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला कर सकती है। सीएम की रेस में कई भाजपा दिग्गज नेताओं के नाम चल रहे हैं।

खास बात है कि राज्य के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और कई विधायक पिछले दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं। बीजेपी के संसदीय बोर्ड की नौ मार्च को दिल्ली में होने वाली बैठक में भी उत्तराखंड के मसले पर विचार होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण का दौरा रद्द कर दिया है। ताकि वह दिल्ली पहुंचकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृहमंत्री अमित शाह से मिलकर राज्य के हालात पर अपना पक्ष रख सकें। सूत्रों का कहना है कि देहरादून में भाजपा नेतृत्व की तरफ से बीते शनिवार को भेजे गए दोनों आब्जर्वर ने कई विधायकों के साथ अलग से बैठक की थी।

uttarakhand trivendra singh rawat

इस दौरान विधायकों बताया कि वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतत्व में चुनाव लड़ने पर नुकसान हो सकता है। सरकार में ब्यूरोक्रेसी के हावी होने के कारण जनप्रतिनिधियों की नहीं सुनी जा रही है। जिससे जनता में भी नाराजगी है। आब्जर्वर्स ने ये रिपोर्ट बीजेपी नेतृत्व को सौंप दी है।