नई दिल्ली। भारत (India) के खिलाफ चीन लगातार चालें चलता रहता है। ऐसे में चीन संयुक्त राष्ट्र में भारत के खिलाफ आतांकियों पर बैन लगाने को लेकर अपना वीटो पॉवर इस्तेमाल कर चुका है। चाहे वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की बात हो या फिर पाकिस्तान (Pakistan) के साथ मिलकर साजिश रचने की बात चीन हमेशा भारत के खिलाफ खड़ा दिखा है। बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मंच से लेकर तमाम हर जगह पर चीन भारत के खिलाफ कदम उठाने की कोशिश करता है। इस बार भी चीन ने यही संयुक्त राष्ट्र में किया है। दरअसल भारत के पास मौका था कि वो संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में आतंकियों को बैन करने वाली कमेटी की अध्यक्षता पा सके लेकिन चीन की नापाक चाल की वजह से ऐसा हो ना सका।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत की अध्यक्षता को लेकर चीन ने जिस कमेटी में अड़ंगा लगाया है, उसका नाम अलकायदा प्रतिबंध कमेटी है। इस कमेटी ने कई अंतरराष्ट्रीय आतंकियों पर प्रतिबंध लगाए थे। ऐसे में भारत के नजर से ये काफी महत्वपूर्ण होता अगर वो इस कमेटी का अध्यक्षता पा सकता। बता दें कि इस कमेटी के जरिए प्रतिबंधि हुए आतंकियों में मसूद अजहर, हाफिज सईद और लश्कर ए तैयबा के खूंखार आतंकी शामिल हैं।
बता दें कि इस साल की शुरुआत में ही भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के कार्यकाल शुरू किया। 1 जनवरी से भारत इस परिषद का अस्थायी सदस्य बना है। सदस्यता के दौरान भारत को काउंटर टेररिज्म कमेटी और तालिबान व लीबिया प्रतिबंध कमेटी की अध्यक्षता सौंपी गई थी। लेकिन बाद में चीन ने भारत को मिलने वाली अलकायदा प्रतिबंध कमेटी की अध्यक्षता पर अपना अड़ंगा लगा दिया। हालांकि चीन इस तरह करने वाला अकेला देश हैं। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में चीन के अलावा किसी और देश ने इस तरह से भारत का विरोध इस मामले में नहीं किया।
चीन के इस विरोध के कारण संयुक्त राष्ट्र में पहली बार ऐसा होने जा रहा है कि तालिबान प्रतिबंध कमेटी और अलकायदा प्रतिबंध कमेटी की अध्यक्षता दो अलग-अलग देश करेंगे। इससे पहले इन कमेटी की अध्यक्षता एक ही देश करता आया है। फिलहाल चीन के विरोध के बाद अब तालिबान प्रतिबंध कमटी की अध्यक्षता भारत करेगा तो इस बार अलकायदा प्रतिबंध कमेटी की अध्यक्षता नॉर्वे के पास होगी। अगर भारत को अलकायदा प्रतिबंध कमेटी की अध्यक्षता का मौका मिलता तो यह उसके लिए काफी अहम होता. क्योंकि इस कमेटी के पास किसी भी आतंकी संगठन और संदिग्ध व्यक्ति पर प्रतिबंध लगाने के अधिकार होते हैं।