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पालघर हत्या मामले में इस संस्था ने किया बड़ा खुलासा, बताया मॉब लिंचिंग पूर्वनियोजित साजिश…

संस्था ने अपनी जांच रिपोर्ट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री अनिल देशमुख और पुलिस महानिदेशक संजीव जायसवाल को भी भेजी है। जनाटे ने कहा कि जांच में पाया गया कि साधुओं पर हमला दो बार में हुआ।

नई दिल्ली। पालघर में साधुओं की हत्या के मामले में विवेक विचार मंच नाम की संस्था ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा है कि, दो महीने पहले गड़चिंचले गांव में दो साधुओं की हत्या पूरी तरीके से पूर्वनियोजित साजिश थी। संस्था ने इस बाबत एक रिपोर्ट भी पेश की है। मंगलवार को इस संस्था से जुड़े लोगों ने मीडिया सामने रिपोर्ट के आधार पर दावा कि पालघर की वारदात सुनियोजित थी।

palghar

वामपंथी संगठनों और ईसाई मिशनरियों की साजिश

विवेक विचार मंच नाम से जुड़े लोगों का कहना है कि, हाइकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अंबादास जोशी की अध्यक्षता में सात सदस्यों की समिति ने पूरे मामले की छानबीन की है। इस आधार पर दावा किया गया कि इस वारदात के पीछे वामपंथी संगठनों और ईसाई मिशनरियों की साजिश है। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि सत्ताधारी पार्टी का एक स्थानीय नेता भी इस साजिश में शामिल है, इसलिए मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराई जानी चाहिए।

मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों को करनी चाहिए

इस संस्था से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता संतोष जनाटे ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि काशीनाथ चौधरी नाम के जिस नेता की भूमिका इस मामले में संदिग्ध है, उसे घटना के 1 महीने बाद घटनास्थल पर पहुंचे गृह मंत्री अनिल देशमुख ने दौरे में अपने साथ रखा था। जबकी देशमुख लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं, जिससे मामले की जांच प्रभावित हो इसलिए मामले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों को करनी चाहिए।

Palghar lynching Sadhu

साधुओं पर हमला दो बार में हुआ

संस्था ने अपनी जांच रिपोर्ट महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, गृह मंत्री अनिल देशमुख और पुलिस महानिदेशक संजीव जायसवाल को भी भेजी है। जनाटे ने कहा कि जांच में पाया गया कि साधुओं पर हमला दो बार में हुआ। पहला हमला तो अफवाह के चलते हुआ लेकिन डेढ़ घंटे बाद पूरी साजिश के साथ लोगों को इकट्ठा किया गया और पुलिस के सामने साधुओं को मौत के घाट उतार दिया गया।

कई निर्दोष आदिवासियों को पकड़ा गया

इस सत्यशोधक समिति में जोशी के साथ वकील समीर कांबले, वकील प्रवर्तक पाठक, सामाजिक कार्यकर्ता संतोष जनाटे, पत्रकार किरण शेलार, पूर्व पुलिस अधिकारी लक्ष्मण खरखडे और सामाजिक कार्यकर्ता माया पोतदार शामिल थीं। स्थानीय लोगों से बातचीत के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है की मामले में कई निर्दोष आदिवासियों को पकड़ा गया है, जबकि मुख्य आरोपियों को छोड़ दिया गया है।

नक्सल प्रभावित इलाके बनाने की तैयारी

इस साजिश को लेकर जनाटे ने दावा किया कि इलाके के आदिवासी समुदाय को लंबे समय से विकास के लिए बन रही बुलेट ट्रेन जैसी परियोजनाओं के खिलाफ भड़काया जा रहा है। वामपंथी और ईसाई मिशनरियों ने हिन्दू धर्म के प्रति उनके मन में जहर घोला है। यहां लोकतंत्र और संविधान के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है और अगर सरकार जल्द ही कदम नहीं उठाती  तो यह इलाका भी गडचिरोली जैसे नक्सल प्रभावित इलाकों में शामिल हो जाएगा।

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पूरा मामला क्या है

पालघर में 16 अप्रैल को सुशीलगिरी महाराज और कल्पवृक्षगिरी महाराज के साथ उनके ड्राइवर नीलेश तेलगाने को सैकड़ो लोगों ने बच्चा चोर समझकर पीट पीटकर मार दिया था। मौके पर पहुंची पुलिस की टीम भी उन्हें बचा नहीं पाई थी और भीड़ पुलिसवालों पर हमलाकर साधुओं को उनके कब्जे से खींच ले गई थी। साधुओं की हत्या की बात सामने आते ही इस मामले ने तूल पकड़ लिया था। मामले की जांच सीआईडी को सौंप दी गई।