नई दिल्ली। कोरोनावायरस के चलते पूरे देश में चल रहे लॉक डाउन के बीच केंद्र सरकार लगातार एक के बाद एक जनहित के फैसले ले रही है। किसी भी तरह से मध्यमवर्गीय परिवार या फिर गरीब को किसी भी तरह की समस्या का सामना ना करना पड़े यह भी सरकार हर तरह से सुनिश्चित कर रही है। लॉक डाउन के बीच कोई भी व्यक्ति भूखा ना रहे, किसी को भी कोई शारीरिक तकलीफ ना हो इसलिए भी केंद्र सरकार राष्ट्रहित में कई योजनाएं लागू कर रही है।
अब केंद्र सरकार ने कोरोना संकट के बीच उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री और सभी सांसदों की सैलरी में से 30 प्रतिशत कटौती करने का बड़ा फैसला लिया है। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह जानकारी दी।
बता दें कि सांसद निधि भी 2 साल तक के लिए टाल दी गई है। इस बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सांसद निधि का भी पैसा कोरोना के खिलाफ लड़ाई में इस्तेमाल किया जाएगा और हर तरीके से कोरोना वायरस संक्रमण से निपटने के लिए केंद्र सरकार कार्य कर रही है।
जावड़ेकर ने बताया कि 1 अप्रैल 2020 से यह फैसला लागू होगा।
वहीं सरकार के इस बेहद महत्वपूर्ण कदम की कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने खुलकर तारीफ की है।
अपने टि्वटर हैंडल पर उन्होंने लिखा कि मैं सरकार के फैसले का स्वागत करता हूं। लंबे समय से मैं तर्क दे रहा हूं कि विकास के कामों के लिए सांसदों और विधायकों को सालाना दिए जाने वाले लगभग 7000 करोड रुपए का इस्तेमाल एक कोष के रूप में किया जाना चाहिए।
I welcome the decision on MPLADS. I have been arguing for long that the approximately Rs.7000 crore given to MPs & MLAs annually for development works should be used as a corpus for State funding of elections. https://t.co/DVd23LXWRl
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) April 6, 2020
हालांकि सरकार के इस फैसले पर मनीष तिवारी और रणदीप सुरजेवाला अपना विरोध जता रहे हैं। उनके मुताबिक सांसदों की वेतन में कटौती तो ठीक है मगर सांसद निधि का पैसा काटना सही फैसला नहीं है।
बता दें कि देशभर में इस वक्त कोरोनावायरस लगातार अपना कहर बरपा रहा है और इसकी वजह से अब तक 4200 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं।