नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) में मिली हार के बाद से ही महागठबंधन के घटक दलों के बीच रार साफ देखने को मिल रही है। महागठबंधन इस हार को पचा नहीं पा रही है। महागठबंधन बिहार चुनाव में अपनी हार के लिए कभी ईवीएम पर ठीकरा फोड़ रही है तो कभी प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बना कर एनडीए के पक्ष में नतीजे घोषित किए जाने का आरोप लगा रही है। इस सबके बीच अब महागठबंधन के दल ही इस हार का ठीकरा सीधा-सीधा कांग्रेस पर फोड़ने लगे हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में महागठबंधन के हार की मुख्य वजह कांग्रेस का खराब प्रदर्शन ही है जिसकी वजह से महागठबंधन को बहुमत के लिए मिलने वाले आंकड़े से उनके पास 11 सीटें कम रह गईं। महागठबंधन में कांग्रेस ने पिछले बार के अपने प्रदर्शन से भी खराब प्रदर्शन किया था। कांग्रेस का स्ट्राइक रेट इस बार 27 प्रतिशत रहा जबकि इस गठबंधन में सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट वाम दलों का रहा है। महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने इस बार 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन वह 19 सीट ही जीत पाई। ऐसे में महागठबंधन को इस खराब प्रदर्शन का खामियाजा भुगतना पड़ा और वो बहुमत का आंकड़ा नहीं जुटा पाए।
अब बिहार चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को लेकर पार्टी के अंदर ही बागी सुर उठने लगे हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है लगातार चुनावों में मिल रही शिकस्त की वजह से पार्टी के अंदर से बगावत के सुर पहले से सुने जा सकते हैं। अभी हाल ही में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कांग्रेस की ऐसी हालत के लिए सोनिया गांधी को पत्र भी लिखा था। वहीं अब बिहार में महागठबंधन की सरकार नहीं बनने पर पार्टी के बड़े नेता तारिक अनवर (Tariq Anwar) ने इसके लिए कांग्रेस को जिम्मेवार माना है। उन्होंने ट्विटर के जरिए बिहार चुनाव में खराब प्रदर्शन के पीछे अपनी ही पार्टी की रणनीति पर सवाल खड़े किए है। मतलब साफ है कि तारिक अनवर का निशाना सीधे तौर पर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर है।
महागठबंधन की हार और कांग्रेस के खराब प्रदर्शन को लेकर तारिक अनवर ने ट्वीट कर लिखा, हमें सच को स्वीकार करना चाहिए। कांग्रेस के कमज़ोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की सरकार से बिहार महरूम रह गया। कांग्रेस को इस विषय पर आत्म चिंतन ज़रूर करना चाहिए कि उस से कहां चूक हुई ? MIM की बिहार में इंटरी शुभ संकेत नहीं है।
हमें सच को स्वीकार करना चाहिए। कांग्रेस के कमज़ोर प्रदर्शन के कारण महागठबंधन की सरकार से बिहार महरूम रह गया।कांग्रेस को इस विषय पर आत्म चिंतन ज़रूर करना चाहिए कि उस से कहाँ चूक हुई ? MIM की बिहार में इंटरी शुभ संकेत नहीं है।
— Tariq Anwar (@itariqanwar) November 12, 2020
आपको बता दें कि बाहर चुनाव में कांग्रेस 2015 के अपने प्रदर्शन को भी नहीं दोहरा पाई जबकि उस चुनाव में कांग्रेस कम सीटों पर चुनाव लड़कर ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब हुई थी। वह कांग्रेस का राज्य में 1995 के बाद का सबसे बेहतर प्रदर्शन था। लेकिन इस बार कांग्रेस को सीमांचल क्षेत्र में भी अपना जनाधार बचाने में कामयाबी नहीं मिल पाई। वहीं कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के द्वारा चुनाव प्रचार के समय उनका उदासीन रवैया भी पार्टी को काफी नुकसान कर गया।