नई दिल्ली। बीते दिनों से कांग्रेस में बड़े स्तर पर बदलाव को लेकर मांग की गई, जिसके बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बड़ा संगठनात्मक बदलाव किया। इस बदलाव में उन नेताओं की छुट्टी कर दी गई जिन्होंने चिट्टी लिखकर सोनिया गांधी से बदलाव की मांग की थी। फिलहाल अब जो बदलाव किए गए हैं, उससे भी पार्टी के कुछ नेता खुश नहीं हैं।
जानकारी के मुताबिक, पार्टी में बदलाव की मांग रखने वाले कई नेता कांग्रेस के इस तरह के फेरबदल से बहुत संतुष्ट नहीं हैं, नाराज चल रहे हैं। नाम न लिखे जाने की शर्त पर एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने मीडिया को बताया कि पार्टी में फेरबदल को लेकर जो चिट्ठी लिखी गई थी, उस तरीके का बदलाव नहीं हुआ है। कांग्रेस नेतृत्व को लिखे गए उनके पत्र में रखी गई चिंताओं को किसी भी तरीके से ये बदलाव संबोधित नहीं करते। उन्होंने कहा कि यह फेरबदल काफी निराशाजनक है और हम इससे काफी नाखुश हैं। इसमें कांग्रेस नेतृत्व की ओर से पार्टी के पुनरुद्धार के लिए कोई कोशिश दिखाई नहीं देती है।
बता दें कि बीते दिनों में पार्टी के प्रदर्शन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है इसपर चिंता जताते हुए कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, मुकुल वासनिक, जितिन प्रसाद, शशि थरूर और मनीष तिवारी समेत कई नेताओं ने कांग्रेस नेतृत्व को स्वहस्ताक्षरित पत्र लिखा था। उन्होंने पार्टी को इस पर आत्मनिरीक्षण करने की सलाह दी थी। इसके बाद शनिवार को कांग्रेस की महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। पत्र लिखने वाले 23 में से 18 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने इस मीटिंग में हिस्सा लिया।
पत्र लिखने वालों में से एक नेता ने जल्द हुए बदलावों को लेकर कहा कि, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शनिवार की मीटिंग में कई नए लोग शामिल थे। बताया जा रहा है कि फेरबदल से असंतुष्ट पत्र लिखने वाले नेताओं ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी (सीडब्ल्यूसी) में सदस्यों के चयन के लिए चुनाव प्रक्रिया की मांग की है। गौरतलब है कि सीडब्ल्यूसी कांग्रेस पार्टी में फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
माना जा रहा है कि जिस तरह के बदलाव किए गए हैं, उसमें राहुल गांधी की पसंद को खास ध्यान में रखा गया है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि, क्योंकि कांग्रेस कार्यसमिति की नई टीम में भी राहुल के करीबियों की भरमार है। वहीं, पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं से महासचिव का प्रभार वापस ले लिया गया है। इनमें गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल हैं। हालांकि, दोनों को कार्यसमिति में बरकरार रखा गया है।