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शंघाई में बसे भारतीय डॉक्टर ने बताया कि इन दवाओं के संयोजन से बचेगी कोविड-19 से संक्रमित मरीजों की जान

WHO के मुताबिक, नोवेल कोरोनावायरस की उत्पत्ति जिस चीन से हुई है, वहां मई के महीने की शुरुआत से अब तक केवल 111 मामलों की पुष्टि हुई है।

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, नोवेल कोरोनावायरस की उत्पत्ति जिस चीन से हुई है, वहां मई के महीने की शुरुआत से अब तक केवल 111 मामलों की पुष्टि हुई है और 27 अप्रैल से तीन मौतें हुई हैं, जिससे यह पता चलता है कि संक्रमण के दर में गिरावट आई है।

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शंघाई में बसे नोएडा के एक चिकित्सक का कहना है कि चीन कोविड-19 के खिलाफ अपनी लड़ाई जीतने के काफी करीब है और जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का संयोजन कोरोनावायरस मरीजों की जान बचाने में सक्षम रही है।

सेंट माइकल हॉस्पिटल में मेडिकल डायरेक्टर इंटरनल मेडिसिन डॉ.संजीव चौबे ने कहा कि कोरोनावायरस से संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए इस संयोजन को विस्तृत रूप से अपनाया गया है और इसके परिणामस्वरूप रोगी ठीक हो रहे हैं और उनके चिकित्सकीय देखभाल की आवश्यकता में भी कमी आ रही है।

कोविड-19 मरीजों के लिए किस तरह का उपचार है, जिसमें स्पशरेन्मुख रोगी भी शामिल हैं?

जिंक, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन से सकारात्मक परिणाम उत्पन्न हुए हैं और इससे कोविड-19 के कई मरीजों को ठीक करने में मदद मिली है। एस्कॉर्बिक एसिड, बी-कॉम्प्लेक्स, जिंक, सेलेनियम, एल-कार्निटाइन, विटामिन बी-12 और ग्लूटाथिओन नॉर्मल सलाइन के इस संयोजन को कम से कम छह हफ्तों के लिए हफ्ते में दो बार मरीजों में प्रशासित किया जाना चाहिए। यह रोग से बचने का एक उपाय है और अन्य दवाओं के साथ ही साथ स्पशरेन्मुख व लक्ष्णात्मक दोनों ही प्रकार के मरीजों के लिए उपयुक्त है।

चीन में कोविड-19 को लेकर आपके क्या अनुभव रहे हैं, कितने परीक्षणों के बाद किसी व्यक्ति को कोरोनावायरस से मुक्त करना सुरक्षित है?

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किसी मरीज को कोविड-19 मुक्त कहने के लिए कोरोनावायरस का परीक्षण कम से कम नौ बार किया जाना चाहिए। चीन में ऐसा ही किया जा रहा है। चीन में यह प्रक्रिया कारगर रही और यह भारत में भी काम करेगा। आटी-पीसीआर के माध्यम से कम से कम पांच परीक्षण तो होने ही चाहिए।

क्या कोरोनावायरस मुख्य रूप से श्वसन प्रणाली को अपनी चपेट में लेता है या इससे दूसरे अंगों को भी नुकसान पहुंचता है?

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इलाज की इस श्रेणी में सिर्फ श्वसन प्रणाली पर ही गौर फरमाना नहीं चाहिए क्योंकि समस्या की जड़ कहीं और भी हो सकती है। कोविड-19 शरीर के कई महत्वपूर्ण अंगों पर भी हमला बोल सकता है। चीन में कोरोनावायरस के एक मरीज की स्ट्रोक के चलते मौत हो गई। शव का परीक्षण करने पर धमनियों की सबसे अंदरूनी परत सूजी हुई मिली। इससे यह निष्कर्ष निकाला गया कि कोरोनावायरस ने धमनियों की परत को प्रभावित किया है, जिसके चलते थक्के जम गए, परिणामस्वरूप शख्स को दिल का दौरा पड़ा। इसलिए यह कहा जा सकता है कि कोविड-19 सिर्फ श्वसन प्रणाली से जुड़ी हुई समस्या नहीं है।

क्या आपको लगता है कि जुलाई के अंत तक भारत में कोरोनावायरस के मामलों की संख्या अपने चरम पर होगी?

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ऐसा लगता है कि भारत अभी ही अपने चरम पर है और जून के अंत या जुलाई के पहले हफ्ते से मामलों की संख्या में कमी देखने को मिलेगी। यदि सोशल डिस्टेंसिंग के मानकों का पालन किया जाए, तो चीजें निश्चित तौर पर सुधरेंगी, लेकिन अगर इनका सही से पालन नहीं किया गया, तो चीजें बिगड़ सकती हैं। जनसंख्या का उच्च घनत्व मामलों की संख्या में वृद्धि का एक प्रमुख कारक हो सकता है। सरकार को हॉटस्पॉट इलाकों को ढूढ़ने पर ध्यान देने और लोगों से नियमों का पालन करने की अपील करनी चाहिए। आखिरकार यह जनता की भलाई के लिए ही तो है।

चीन कोविड-19 के खिलाफ कैसे लड़ रहा है?

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ऐसा लगता है कि चीन ने वुहान को न खोलकर इस लड़ाई पर जीत हासिल की है। चीन में कोविड-19 मरीजों के लिए कई तरह के कार्यक्रमों को आयोजित किया जा रहा है, जहां प्रशासन संक्रमित लोगों से लगातार बातचीत कर रही है। भारत में सरकार को दिशा-निर्देशों का पालन करने वाले को पुरस्कृत किया जाना चाहिए, इससे समाज में एक सकारात्मक बदलाव आएगा।