Fact Check: कोरोना से मौत के आंकड़ों में गड़बड़ी का अखबार का दावा निकला फर्जी, फेक्ट चेक से सच आया सामने
Fact Check: जिस वक्त देश को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। सूचना तंत्र का एक धड़ा लोगों को मौत के करीब ले जा रहा है वह भी उनके अंदर डर पैदा करके। दूसरी तरफ कई मीडिया संस्थान तो खबरों की सच्चाई परखे बिना ही डर बांट रहे हैं। हालात बद से बदतर हैं लेकिन उसपर सकारात्मक सूचनाओं की भी कमी नहीं है। जबकि सबको पता है कि इस वायरस के संक्रमण से संक्रमित व्यक्तियों में से 90 प्रतिशत लोगों की रिकवरी घर पर रहकर ही संभव है और इससे मौत का आंकड़ा 1 प्रतिशत है जबकि 5 प्रतिशत तक लोगों के इसमें ज्यादा बीमार होने की संभावना है।
नई दिल्ली। देशभर में कोरोना की दूसरी लहर ने कोहराम मचा रखा है। ऑक्सीजन और बेड की कमी से लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। हालात बेहतर नहीं हैं। लेकिन फिर भी भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर लोगों की जान बचाने की हरसंभव कोशिश कर रही हैं। चिकित्सा व्यवस्था के नाम पर भारत के पास बहुत बेहतर व्यवस्था तो नहीं है क्योंकि आबादी बड़ी है और इस दूसरी लहर के कोहराम की वजह से सबकुछ अस्त-व्यस्त सा हो गया है। लेकिन इस सब के बीच जिस तरह से डरानेवाली खबरों और सूचनाओं का एक पूरा मायाजाल तैयार किया गया है उसने देश की जनता को मानसिक रूप से भी कमजोर करना शुरू कर दिया है। लाशों की जलती तस्वीरें, अस्पताल के बाहर तड़पते लोग, मौत का मंजर, ऑक्सीजन की कमी से बूझती सांसें ना जाने कैसे-कैसे सूचनाओं के साथ लोगों को डराने का पूरा इंतजाम किया गया है।
जिस वक्त देश को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ने की जरूरत है। सूचना तंत्र का एक धड़ा लोगों को मौत के करीब ले जा रहा है वह भी उनके अंदर डर पैदा करके। दूसरी तरफ कई मीडिया संस्थान तो खबरों की सच्चाई परखे बिना ही डर बांट रहे हैं। हालात बद से बदतर हैं लेकिन उसपर सकारात्मक सूचनाओं की भी कमी नहीं है। जबकि सबको पता है कि इस वायरस के संक्रमण से संक्रमित व्यक्तियों में से 90 प्रतिशत लोगों की रिकवरी घर पर रहकर ही संभव है और इससे मौत का आंकड़ा 1 प्रतिशत है जबकि 5 प्रतिशत तक लोगों के इसमें ज्यादा बीमार होने की संभावना है। लेकिन मीडिया में एक खबर आज बड़े जोर-शोर से चल रही है जिसमें लिखा गया है कि कोरोनावायरस से जुड़े डेटा को छिपाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जा रहा है। इसमें यह भी लिखा गया है कि इसमें मौत का आंकड़ा जो सरकार जारी कर रही है उससे 5 गुना अधिक है।
दावा: #कोरोनावायरस से जुड़े डेटा को छिपाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जा रहा है।#PIBFactCheck: यह दावा #फर्जी है। #COVID19 सम्बन्धी आँकड़े सभी राज्य सरकारों द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रदान किए जा रहे हैं और इस पर केंद्र सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। pic.twitter.com/aJfXeTqstC
— PIB Fact Check (@PIBFactCheck) April 26, 2021
मतलब आप समझ सकते हैं कि इस दावे के अनुसार सारा कुछ केंद्र सरकार के इशारे पर हो रहा है और राज्य की सरकारें केंद्र की बात को खूब मान ले रही हैं। जबकि ये वही राज्य सरकारें हैं जहां भाजपा की सरकार सत्ता में नहीं है वह केंद्र सरकार के साथ इस मुद्दे पर भी जमकर राजनीति कर रही है और मौत के आंकड़े छुपाने का दवाब जब केंद्र ने दिया तो इन्होंने इस बात को मान लिया। ये वही राज्य सरकारें हैं जो पीएम के साथ चल रही आपात बैठक को अपने राजनीतिक फायदे के लिए लाइव कर देती हैं और ये केंद्र के कहने पर मौत का आंकड़ा कम करके दिखा रही हैं।
लाशों की जलती तस्वीरें और श्मसान घाट का मंजर दिखाकर जनता को डराने का जतन करनेवाली सूचना तंत्र के इस खेल को PIB Fact Check की तरफ से करारा जवाब दिया गया है। फेक्ट चेक में बताया गया है कि दैनिक भास्कर अखबार की तरफ से किया गया दावा: #कोरोनावायरस से जुड़े डेटा को छिपाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्य सरकारों पर दबाव बनाया जा रहा है। #PIBFactCheck: यह दावा #फर्जी है। #COVID19 सम्बन्धी आंकड़े सभी राज्य सरकारों द्वारा स्वतंत्र रूप से प्रदान किए जा रहे हैं और इस पर केंद्र सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। ऐसे में आप समझ गए होंगे कि देश में डर का माहौल तैयार कर आखिर क्या हासिल करने की कोशिश की जा रही है।