नई दिल्ली। एसक्यूआर इलियास। यह नाम उस शख्स का है, जिसे ज्ञानवापी मस्जिद मामले के लिए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड AIMPLB ने अपनी लीगल टीम का मेंबर बनाया है। इलियास की एक पहचान और है। दिल्ली में सीएए विरोधी दंगों की साजिश में शामिल उमर खालिद के वो पिता भी हैं। खबरें ऐसी हैं कि इलियास पर खुफिया एजेंसियों की नजरें हैं। वजह है आतंकी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया यानी SIMI से उनके रिश्ते। हालांकि, इलियास का कहना है कि वो जब सिमी के साथ थे, तब संगठन पर आतंकी होने का लेबल नहीं लगा था।
इलियास ने अंग्रेजी अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बातचीत में कहा कि सिमी को जब उन्होंने छोड़ा, उसके करीब 15 साल बाद उस पर आतंकी संगठन होने का आरोप लगा। इलियास ने कहा कि वो साल 1985 तक सिमी में रहे। जबकि, इस संगठन पर 2001 में प्रतिबंध लगा। इलियास का ये भी कहना था कि यूएपीए कानून के तहत बने ट्रिब्यूनल ने भले ही सिमी पर बैन लगाया हो, लेकिन इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है और वहां से कोई फैसला अब तक नहीं आया है।
इलियास ने ये भी कहा कि वो सिमी के साथ जमात-ए-इस्लामी हिंद में भी शामिल रहे हैं। इसके अलावा वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के वो राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे। उनका दावा है कि सिमी का इन दोनों ही संगठनों से कोई रिश्ता कभी नहीं रहा है। बता दें कि सिमी का अध्यक्ष सफदर नागौरी है और वो मध्यप्रदेश की जेल में है। उस पर भारत में आतंकी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगा है। वहीं, जमात-ए-इस्लामी हिंद पर भी सिमी से साठगांठ कर आतंकी गतिविधियां करने का आरोप लगता रहा है। इसी पर अब एसक्यूआर इलियास ने अखबार से बातचीत में सफाई दी है।