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Delhi: कोरोना के बढ़ते मामलों पर केजरीवाल सरकार को पड़ी दिल्ली हाई कोर्ट की फटकार, पूछा ये सवाल

Delhi Corona: कोर्ट(Delhi High Court) ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, ”दिल्ली सरकार(Delhi Government) ने 1 नवंबर से जब से हालात खराब होने शुरू हुए थे, उसके बाद से लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए।

नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए अब दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को दिल्ली हाईकोर्ट ने जमकर फटकार लगाई है। दरअसल दिल्ली में एक बार फिर से कोरोना का कहर बरसने लगा है। दिल्ली हाईकोर्ट ने भी दिल्ली में कोरोना के हालात को देखते हुए अरविंद केजरीवाल को जमकर फटकार लगाई। अदालत ने दिल्ली सरकार से सवाल करते हुए पूछा कि, आखिर सरकार को होश तब क्यों आया जब दिल्ली हाइकोर्ट ने सरकार जवाब मांगा। कोर्ट ने पूछा की आखिर कोरोना के मामले बढ़ने के 18 दिन बाद ही क्यों शादियों की संख्या में आने वाले अतिथियों की संख्या को सीमित रखने का फैसला किया गया? इस तरह का फैसला पहले ही क्यों नहीं लिया गया। बता दें कि केजरीवाल ने गुरुवार को दिल्ली में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाई और दिल्ली में कोरोना के हालात पर चर्चा की।

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कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को दोषी मानते हुए फटकार लगाई। अदालत ने कहा कि क्या सरकार को पता है कि सरकार की ढ़िलाई की वजह से कितने लोगों की जान कोरोना की वजह से चली गई। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा, ”वैसे तो मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग की बात की जाती है लेकिन जमीनी स्तर पर कितने लोगों का पालन कर रहे हैं।

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अदालत ने कहा कि, कोरोना को लेकर लोगों में कोई डर नहीं है लिहाजा इसके प्रसार को रोकने के लिए नियमों का पालन भी नहीं हो पा रहा। कोर्ट ने कहा कि हम लगातार खराब होते हालातों को देखते हुए चुपचाप नहीं बैठे रह सकते, हम सिर्फ मूकदर्शक नहीं बने रह सकते है।”

कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा, ”दिल्ली सरकार ने 1 नवंबर से जब से हालात खराब होने शुरू हुए थे, उसके बाद से लेकर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए। हम आपको यहां नींद से जगाने के लिए नहीं बैठे हैं यह जिम्मेदारी आप की थी कि आप वक्त रहते कार्रवाई करें।”

कोर्ट ने कहा, ”हम यह नहीं कह रहे की सारी जिम्मेदारी से सरकार की ही है, नागरिकों की भी जिम्मेदारी है, लेकिन अगर नागरिक उनकी ज़िम्मेदारी को नहीं समझ रहे हैं तो सरकार को शक्तियों का इस्तेमाल करना चाहिए और नागरिकों को उनकी जिम्मेदारी का एहसास करवाना होगा।”