नई दिल्ली। मध्यमवर्गीय परिवार के नौनिहालों के आंखों में बेशुमार ख्वाब पल रहे होते हैं। किसी का डॉक्टर बनने का ख्वाब होता है, तो किसी का इंजीनियर, तो किसी का आईएएस, तो किसी आईपीएस, लेकिन अफसोस बढ़ती उम्र जब नौनिहाल को अपने परिवार की आर्थिक बदहाली का एहसास दिलाती है, तो कब वो नौनिहाल से वयस्क का रूप धारण कर चुका शख्स अपने ख्वाबों को तिलांजलि दे जाता है, उसे खुद को ही एहसास नहीं होता। कभी अपने मां की आशा भरी निगाहें, तो कभी अपने पिता के माथे से टपकता पसीना उसे अपने ख्वाबों को परवान देने से रोक देता है, लेकिन शायद आपको पता ना हो कि आज से सात साल पहले 2015 में केजरीवाल सरकार ने ऐसे ही मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चों के ख्वाबों को मुकम्मल करने का जिम्मा अपने कांधों पर उठा लिया था। इसके लिए उनकी सरकार ने “दिल्ली उच्च शिक्षा और कौशल विकास गारंटी योजना” योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत राजधानी दिल्ली से 10वीं और 12वीं करने वाले विधार्थियों को उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान करने का प्रबंधन था। इस योजना का शुभारंभ करते समय दिल्ली सरकार ने बड़ी-बड़ी बातें कही थी, लेकिन मध्यमवर्गीय परिवार के बच्चे को कहां पता था कि दिल्ली सरकार जिस योजना के जरिए उन पर मेहरबानी बरसाने जा रही है, वो सरकार बाद में, पहले सियासतदान हैं, तो सियासत ना करे, ऐसा भला हो सकता है क्या?
बता दें कि दिल्ली सरकार ने इस योजना को प्रचारित करने के लिए एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 19 करोड़ रूपए खर्च कर दिए थे। लेकिन, जब इस योजना को शुरू हुए पूरे 7 साल हो चुके हैं, तो यह जानना तो बनता है कि ना अब तक इस कथित महत्वाकांक्षी योजना के जरिए कितने छात्रों को फायदा पहुंचा है, तो आपको यह जानकर हैरानी हो सकती है कि अब तक इस योजना से लाभ प्राप्त करने हेतु 1,139 छात्रों ने आवेदन किया था, जिसमें से सिर्फ और सिर्फ 363 छात्रों को ही लाभ पहुंचा है। इतना ही नहीं, वित्त वर्ष 2021-22 में 89 छात्रों ने योजना का लाभ पाने के लिए आवेदन किया था, जिसमें से सिर्फ और सिर्फ दो ही छात्रों को लाभ पहुंचा है। 2015-2016 में इस योजना के तहत 58 छात्रों ने आवेदन किया था, जिसमें सभी लाभ पहुंचा था । वित्त वर्ष 2016-17 में 424 छात्रों ने लोन के लिए आवेदन किया और 176 को लोन मिला, 2017-18 में 177 छात्रों ने आवेदन किया और 50 छात्रों को लोन मिला। वक्त के साथ यह योजना दम तोड़ती जा रही है।
Delhi Higher Education and Skill Development Guarantee Scheme by AAP govt
Under this scheme, students can avail a collateral-free loan of up to Rs 10 lakh
2021-2022: Only 2 students were given loan
2021-22: AAP govt spent more than Rs 19 crore for advertisements of this scheme pic.twitter.com/l7onf58FAY
— Anshul Saxena (@AskAnshul) August 11, 2022
अब यह योजना छात्रों के बीच उतनी प्रासंगिक नहीं रह गई जितनी की बताई जा रही थी। सभी छात्रों को लाभ नहीं मिल पाता था। इस योजना के सूरतेहाल को देखकर यह कहना मुनासिब रहेगा कि यह योजना नहीं, बल्कि लॉटरी है। इस योजना की शुरुआत करते समय जितनी बड़ी-बड़ी बातें दिल्ली के उपमुख्मंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने की थी, वो सारी चरितार्थ होती हुई नजर नहीं आती है, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि अब यह योजना छात्रों के लिए उतनी प्रासंगिक नहीं रह गई है। बता दें कि इस योजना की दुर्दिन के बारे में जानकारी सूचना के अधिकार के जरिए प्राप्त हुई है। अब इस बात की पूरी संभावना है कि आगामी दिनों में सूचना के अधिकार के जरिए जिस तरह से दिल्ली सरकार की पोल खुली है, उसे लेकर उनकी घेराबंदी भी की जाएगी।
लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि आखिर सरकार या राजनेता होने के नाते आपको इतना हक किसने दिया है कि आप एक गरीब के सपनों के साथ खेलो। उसकी भावनाओं के साथ खेलो। अगर आपके अंदर किसी के ख्वाबों को मुकम्मल करने का माद्दा नहीं है, तो भला किसी की भावनाओं को चोट पहुंचाने की हिमाकत भी तो ना करिए। ये कुछ ऐसे सुलगते हुए सवाल हैं, जिनके बारे में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरवाल से पूछा जाना चाहिए। बहरहाल, अब बतौर पाठक आपका इस पूरे मसले पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा। तब तक के लिए आप देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों से रूबरू होने के लिए आप पढ़ते रहिए। न्यूज रूम पोस्ट.कॉम