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हिंसा वाली भीड़ में शामिल थीं ‘पिंजरा तोड़’ लड़कियां, दंगाइयों की फायरिंग में 93 से ज़्यादा लोगों को गोली लगी, पुलिस का चौंकाने वाला खुलासा

दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में हुए दंगों को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे लोग इकट्ठा हुए थे। उसके पास ये जानकारी थी ये लोग हिंसा कर सकते हैं।

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने दिल्ली में हुए दंगों को लेकर कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के नीचे लोग इकट्ठा हुए थे। उसके पास ये जानकारी थी ये लोग हिंसा कर सकते हैं।

Delhi Police Van

रात करीब 10:30 बजे 1000 लोग आकर बैठ गए थे। उनके साथ बच्चे और महिलाएं थीं। ये लोग अंदर गलियों से आये थे। इनमें पिंजरा तोड़ से जुड़ी लड़कियां भी शामिल थीं। इनमे एक ग्रुप बाहर से था जो लोकल लोगों की भी बात नहीं सुन रहा था।

delhi police

ये इलाका सबसे ज्यादा घनी आबादी वाला है। इसके बाद हिन्दू संगठनों ने कॉल किया कि हम सुबह मौजपुर चौक पर प्रदर्शन करेंगे। हमने उन्हें बहुत समझाया लेकिन वो नहीं माने। उनका कहना था कि ये प्रोटेस्ट अगर ये कर सकते हैं तो हम क्यों नहीं? उसके बाद दोनों तरफ से पत्थरबाजी शुरू हो जाती है।

ये इलाका मुस्लिम बाहुल्य है लेकिन यहां हिन्दू भी रहते हैं। इसी बीच उसी शाम चांदबाग में हिंसा शुरू हुई ,पुलिस ने बल प्रयोग किया और उसे शांत कराया। 24 फरवरी को सुबह 9 से 10 के बीच डीसीपी शाहदरा को चांदबाग भेजा गया। वहां डीसीपी व एसीपी गोकुलपुरी को बुरी तरह मारा गया और रतनलाल को गोली मार दी गयी।

delhi_violancedelhi_violance

डीसीपी ईस्ट मौजपुर में फंसे थे। डीसीपी नार्थ ईस्ट अलग-अलग जगहों पर जा जाकर स्थिति संभालने में लगे थे। फिर स्थिति और खराब हो रही थी, जिसके बाद अलग-अलग जिलों से अफसर और फ़ोर्स बुलाये गए। दोनों समुदाय के लोग सामने थे और जबरदस्त फायरिंग कर रहे थे। दोनों पुलिस के खिलाफ थे। 93 से ज्यादा लोगों को गोली लगी।

delhi violence

पुलिस ने फायरिंग इसलिए नहीं कि क्योंकि बहुत लोग मारे जाते। भीड़भाड़ और बड़े इलाके में दंगे के बीच हर जगह पहुंचना आसान नहीं था। फ़ोर्स का तुरन्त मोबलाइजेशन करना भी आसान नहीं था। 25 तारीख को बहुत जगहों से पीसीआर कॉल आ रहे थे। 25 तारीख को पुलिस ने पहले मेन रोड खाली कराई, फिर रात होते-होते अंदर के इलाकों में हिंसा रोकी।