नई दिल्ली। हिंदी भाषा को लेकर दक्षिण भारतीयों का व्यवहार हमेशा से ही ऐसा रहा मानों उनपर यह भाषा थोपी जा रही हो। आज डीएमके नेता कनिमोझी ने कहा है कि रविवार को एक एयरपोर्ट पर जब उन्होंने सीआईएसफ के एक ऑफिसर को अंग्रेजी या तमिल में बात करने को कहा तो उस ऑफिसर ने जवाब दिया कि क्या वे भारतीय नहीं है। कनिमोझी ने इस घटना पर आपत्ति जताई है और पूछा है कि भारतीय होना हिन्दी जानने के बराबर कब से हो गया है।
कनिमोई ने ट्वीट किया, आज हवाई अड्डे पर जब मैंने सीआईएसएफ के एक अधिकारी से कहा कि वह तमिल या अंग्रेजी में बोलें क्योंकि मैं हिंदी नहीं जानती, तब उन्होंने मुझसे सवाल किया कि क्या ‘मैं भारतीय हूं।’
सांसद ने लिखा, मैं जानना चाहूंगी कि कब से भारतीय होना हिंदी जानने के बराबर हो गया है यानी भारतीय होने के लिए हिंदी जानना जरूरी है? #हिंदीथोपना। द्रमुक की महिला शाखा की सचिव के इस ट्वीट का सोशल मीडिया पर कई लोगों ने समर्थन किया। एक ने लिखा, मैं भारतीय हूं और हिंदी का उससे कोई लेना-देना नहीं है।
Today at the airport a CISF officer asked me if “I am an Indian” when I asked her to speak to me in tamil or English as I did not know Hindi. I would like to know from when being indian is equal to knowing Hindi.#hindiimposition
— Kanimozhi (கனிமொழி) (@KanimozhiDMK) August 9, 2020
हालांकि सांसद कनिमोझी ने ये नहीं बताया है कि ये घटना किस एयरपोर्ट की है। उन्होंने ट्वीट कर पूरी घटना की जानकारी दी है। इस मामले में सीआईएसएफ ने बाद में बयान जारी कर सांसद से माफी मांगी है। इसके साथ ही मामले में आगे कार्रवाई करने के आदेश दे दिए हैं। इसके साथ ही उनसे एयरपोर्ट का नाम स्थान, तारीख और समय की मांग की है ताकि इस मामले की गहन जांच की जा सके।
सीआईएसएफ की तरफ से ट्वीट किया गया कि हमारी ऐसी नीति नहीं है जिसमें कि किसी को भी कोई विशेष भाषा को बोलने के लिए बाध्य किया जाए। तमिलनाडु के तमाम राजनीतिक दल उत्तर भारत और केंद्र की सरकारों पर हिन्दी भाषा थोपने का आरोप लगाते रहे हैं। डीएमके ने हाल ही में केंद्र की नई शिक्षा नीति के तहत प्रस्तावित ‘थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला’ का विरोध किया था। सत्ताधारी AIADMK ने ‘थ्री लैंग्वेज फॉर्मूला’ का विरोध किया है।