अब LAC पर और बढ़ेगी भारतीय सेना की ताकत, अमेरिका से बेहद शक्तिशाली ड्रोन खरीदने की हो रही तैयारी

हालांकि अमेरिका ने चार अरब डॉलर से अधिक के 30 सी गार्डियन बेचने की पेशकश की है। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को लगता है कि सर्विलांस और टारगेट पर हमला के लिए एक ही ड्रोन हो न कि अलग-अलग।

Avatar Written by: July 6, 2020 1:47 pm
Drone American

नई दिल्ली। भारत-चीन विवाद के बीच भारतीय सेना ने लद्दाख के पास भारतीय सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया है। चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ चल रहे गतिरोध को देखते हुए भारत ने कम ऊंचाई पर अधिक देर तक उड़ान भरने वाले अमेरिकी सशस्त्र प्रीडेटर-बी ड्रोन खरीदने में रुचि दिखाई है।

India-China LAC

बता दें कि प्रीडेटर-बी ड्रोन ना सिर्फ खुफिया जानकारी इक्ट्ठा करता है, बल्कि लक्ष्य का पता लगाकर उसे मिसाइल और लेजर गाइडेड बम से नष्ट कर देता है। फिलहाल भारत पूर्वी लद्दाख में इज़राइली हेरोन ड्रोन का इस्तेमामल करता है, जो कि निहत्था है। वहीं, चीन की बात करें तो उसके पास विंग लूंग II सशस्त्र ड्रोन है। इसके अलावा वह पाकिस्तान को भी सप्लाई करने की तैयारी में है।

गौतरलब है कि पाकिस्तान वायु सेना द्वारा उपयोग के लिए 48 सशस्त्र ड्रोन का संयुक्त रूप से उत्पादन करने के लिए चीन के साथ करार कर रहा है। विंग लूंग II के सैन्य संस्करण जीजे -2 को हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस बताया गया है। वर्तमान में सीमित सफलता के साथ लीबिया के सिविल वॉर में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

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हालांकि अमेरिका ने चार अरब डॉलर से अधिक के 30 सी गार्डियन बेचने की पेशकश की है। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को लगता है कि सर्विलांस और टारगेट पर हमला के लिए एक ही ड्रोन हो न कि अलग-अलग। भले ही भारतीय नौसेना अमेरिका के साथ बातचीत में मुख्य भूमिका निभा रही है, लेकिन भारतीय सेना प्रिडेटर-बी के पक्ष में है।

अमेरिका भारत की उच्च तकनीकी हथियारों की आपूर्ति के लिए तैयार है, लेकिन साथ ही साथ भारत के द्वारा एस-400 मिसाइल सिस्टम रूस से खरीदने से नाखुश भी है। उसे डर है कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली भारत मास्को तक पहुंचा सकता है। चीन ने पहले ही रूस से एस-400 प्रणाली का अधिग्रहण कर लिया है और वर्तमान में इसे अरुणाचल प्रदेश में तैनात किया है।

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भले ही नोएडा स्थित कुछ भारतीय प्राइवेट कंपनी medium-altitude long-endurance (MALE) ड्रोन विकसित करने की प्रक्रिया में हैं, लेकिन वे सशस्त्र ड्रोन हासिल करने की क्षमता से अभी दूर हैं। लद्दाख में किए गए कई प्रयोग तिब्बत के पठार पर उच्च-वेग से चलने वाली हवाओं में खो जाने वाले ड्रोन के साथ पूरी तरह से सफल नहीं हुए हैं। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की योजना है कि इस साल के अंत तक Male Rustom ड्रोन प्रोटोटाइप का उत्पादन किया जाएगा।