नई दिल्ली। मोदी सरकार ने किसान बिल पास तो करवा लिया है लेकिन इसको लेकर पंजाब और हरियाणा में किसानों को प्रदर्शन जारी है। बता दें कि किसान से जुड़े तीन बिल पर राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा रविवार को हस्ताक्षर कर दिया गया है। अब देश में विपक्षी दलों के सहयोग से इन तीन बिलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज करने की योजना बनाई गई है। बता दें कि इस विरोध प्रदर्शन में जाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी शामिल होंगे। स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह के पैतृक गांव खटकर कलां में उनकी जयंती पर पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह विवादास्पद कानूनों के विरोध में सोमवार को धरना देंगे। कांग्रेस पार्टी के पंजाब इकाई के प्रमुख सुनील जाखड़ ने रविवार को कहा कि विरोध प्रदर्शन में भाग लेने वाले अन्य लोगों में राज्य मामलों के प्रभारी हरीश रावत, सभी राज्य कांग्रेस सांसद और विधायक हैं। यह अमरिंदर सिंह का कृषि बिल को खिलाफ पहला विरोध होगा। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव रावत भी राज्य के मामलों की कमान संभालने के बाद पहली बार पंजाब आएंगे।
धरने को लेकर पंजाब के कैबिनेट मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और नवांशहर के विधायक अंगद सिंह ने रविवार को भगत सिंह स्मारक का दौरा किया और वहां बैठने की व्यवस्था की देखरेख देखी। चन्नी ने कहा कि कांग्रेस भगत सिंह के गांव से खेत के बिलों को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ एक दीर्घकालिक अभियान शुरू करेगी। शिरोमणि अकाली दल (SAD) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि राष्ट्रपति कोविंद द्वारा तीन विधेयकों पर दस्तखत दिए जाने से “लोकतंत्र और किसानों के लिए काले दिन” का संकेत मिलता है।
किसान बिल को लेकर अकाली दल के बादल ने ट्वीट किया। “बेहद दुख की बात है कि राष्ट्रपति ने किसानों और पंजाबियों के रोने को नजरअंदाज कर दिया और कृषि बिल और J & K बिल पर हस्ताक्षर किए। आशा है कि राष्ट्रपति राष्ट्र की अंतरात्मा की आवाज के रूप में कार्य करेंगे और संसद में विधेयकों को वापस लौटाएंगे। ”