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Financial Crisis: पंजाब में गहराता दिख रहा है वित्तीय संकट, मुफ्त बिजली के वादे से हालात बिगड़े, कल तक नहीं मिली थी कर्मचारियों को सैलरी

पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने वादे के मुताबिक पिछला बिजली बिल बकाया माफ करना शुरू किया। इसके अलावा 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की शुरुआत भी इस साल 1 जुलाई से कर दी। इसकी वजह से पंजाब की वित्तीय स्थिति डगमगाती दिख रही है। हालत ये है कि बीते कल यानी मंगलवार तक सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं आई थी।

चंडीगढ़। पिछले दिनों पीएम नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों की तरफ से बिना अपनी वित्तीय स्थिति जाने मुफ्त की योजनाओं का एलान करने पर ‘रेवड़ी कल्चर’ कहकर सावधान किया था। सुप्रीम कोर्ट तक ने ऐसी योजनाओं पर चिंता जताई है। मोदी की इस बात पर विपक्षी दलों ने जमकर विरोध किया था। आम आदमी पार्टी AAP के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने तो गुजरात जाकर ये तक कह दिया कि उनकी पार्टी की सरकारें लोगों के लिए मुफ्त की योजनाएं जारी रखेंगी। अब उन्हीं केजरीवाल की पार्टी शासित पंजाब में मुफ्त की रेवड़ी टाइप योजना भगवंत मान सरकार के लिए सिरदर्द बन रही है। ये योजना मुफ्त बिजली और बिल का बकाया माफ करने की है।

bhagwant maan

पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद आम आदमी पार्टी ने वादे के मुताबिक पिछला बिजली बिल बकाया माफ करना शुरू किया। इसके अलावा 300 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने की शुरुआत भी इस साल 1 जुलाई से कर दी। इसकी वजह से पंजाब की वित्तीय स्थिति डगमगाती दिख रही है। हालत ये है कि बीते कल यानी मंगलवार तक सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाह नहीं आई थी। सरकार हालांकि कह रही है कि तकनीकी गड़बड़ी की वजह से ऐसा हुआ है, लेकिन ये सच है कि सब्सिडी के बोझ से उसका खजाना लगातार दबा जा रहा है। जीएसटी की मुआवजा राशि भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। नतीजे में पंजाब की माली हालत लगातार खराब हो रही है। पिछले साल दिसंबर तक के बिजली बिल माफ करने से खजाने पर करीब 1300 करोड़ रुपए का बोझ पड़ा है। साथ ही बिजली की पिछली सब्सिडी का बकाया भी 9000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।

पंजाब को 33000 करोड़ बिजली से हासिल होते थे। अब सब्सिडी 18000 करोड़ को पार कर गई है। यानी बिजली से होने वाली आय पर सब्सिडी का जबरदस्त दबाव है। पंजाब सरकार सब्सिडी की राशि डिस्कॉम्स को दे नहीं पा रही। ऐसे में निजी प्लांट से बिजली खरीद की कीमत भी वे अदा नहीं कर पा रहे हैं। 300 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर देने से लोग भी जमकर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। पंजाब में पहली बार सितंबर महीने में अब बिजली की खपत 14000 मेगावाट को पार कर गई है। कुल मिलाकर हालात गंभीर होने के संकेत हैं, लेकिन मुफ्त वादों को लागू न रखा, तो जनता के गुस्से का सामना भी सीएम भगवंत मान और आम आदमी पार्टी को करना होगा।