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सीमा विवाद पर विदेश सचिव श्रृंगला का बड़ा बयान, कहा- अगर बातचीत नहीं हुई होती तो…

गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के पीछे हटने की शुरुआत से एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर बात की जिसमें वे एलएसी से सैनिकों के तेजी से पीछे हटने पर सहमत हुए।

नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास से भारतीय और चीनी सैनिक दो किलोमीटर पीछे हट गए हैं। यहां पिछले महीने भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि अज्ञात संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे। गौरतलब है कि पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सेना के पीछे हटने की शुरुआत से एक दिन पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर बात की जिसमें वे एलएसी से सैनिकों के तेजी से पीछे हटने पर सहमत हुए।

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इस बीच सीमा विवाद को लेकर विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने बड़ा बयान दिया है। हर्षवर्धन श्रृंगला ने बताया कि भारत कूटनीतिक और सैन्य स्तर के माध्यमों से चीन से बात कर रहा है और यदि उस देश के साथ कोई वार्ता नहीं होती तो भारत-चीन सीमा पर स्थिति काफी खराब होती। हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि कूटनीति इस बारे में अत्यंत बदले हुए परिदृश्य में है कि महामारी के मद्देनजर देशों के बीच शासन कला और संबंध किस तरह काम करते हैं।

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श्रृंगला ने कहा, ‘देशों को आपस में बात करने की आवश्यकता है। आप बातचीत नहीं रोक सकते क्योंकि फिर दूसरा विकल्प बड़े टकराव, तनाव और समस्याओं का है, और संभवत: संघर्ष का भी।’

विदेश सचिव ने कहा, ‘उदाहरण के लिए चीन से लगती हमारी सीमा पर बढ़ा हुआ तनाव। मेरा मानना है कि यदि कोई संपर्क नहीं होता तो हमारे सामने एक काफी खराब स्थिति होती, लेकिन कल हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (अजीत डोभाल) ने अपने समकक्ष से बात की। इससे पहले, हमारे विदेश मंत्री (एस जयशंकर) ने चीन के विदेश मंत्री से बात की थी।’

उन्होंने कहा कि अन्य कूटनीतिक और सैन्य स्तर के माध्यम हैं जिनके जरिए भारत बात कर रहा है। उन्होंने भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कोविड-19 महामारी के दौरान कूटनीति के बारे में विचार व्यक्त करते हुए यह टिप्पणी की।