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जासूसी के झूठे मामले में फंसे ISRO के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को मिला 1.30 करोड़ का मुआवजा

रिपोर्ट के मुताबिक, मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नारायणन ने कहा कि ‘मैं खुश हूं, मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है। मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी।’

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को आखिरकार न्याय मिल ही गया है। इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन को केरल सरकार ने मंगलवार को 1.30 करोड़ रुपये का मुआवजा सौंपा जिन्हें 1994 में जासूसी के झूठे मामले में फंसा दिया गया था। यह मुआवजा 78 वर्षीय नारायणन द्वारा अपनी अवैध गिरफ्तारी और उत्पीड़न की क्षतिपूर्ति के लिए यहां एक अदालत में राशि बढ़ाने के लिए दायर किए गए मामले को निपटाने के क्रम में सौंपा गया।

nambi isro

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने नारायणन को राशि के भुगतान की पुष्टि की। रिपोर्ट के मुताबिक, मुआवजे की राशि का चेक स्वीकार करते हुए नारायणन ने कहा कि ‘मैं खुश हूं, मेरे द्वारा लड़ी गई लड़ाई धन के लिए नहीं है। मेरी लड़ाई अन्याय के खिलाफ थी।’

nambi narayanan

सरकार ने पूर्व में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन सप्ताह बाद नारायणन को 50 लाख रुपये की राशि दी थी। वहीं, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन्हें अलग से 10 लाख रुपये का मुआवजा सौंपे जाने की सिफारिश की थी। वर्ष 1994 में जासूसी के झूठे मामले में आरोप लगाया गया था कि नारायणन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम से संबंधित कुछ बेहद गोपनीय दस्तावेज विदेशी देशों को हस्तांतरित करने में शामिल हैं। नारायणन को दो महीने जेल में रहना पड़ा था। बाद में, सीबीआई ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप मिथ्या हैं। सीबीआई से पहले इस मामले की जांच केरल पुलिस कर रही थी।

Nambi Naryan, ISRO scientist

दरअसल ये, इसरो जासूसी मामला दो वैज्ञानिकों और दो मालदीवियन महिलाओं सहित चार अन्य लोगों द्वारा दुश्मन देशों को काउंटी के क्रायोजेनिक इंजन प्रौद्योगिकी के कुछ गोपनीय दस्तावेजों और रहस्यों के हस्तांतरण के आरोप लगे थे। इसमें नंबी नारायण का भी नाम था। नंबी नारायणन के खिलाफ साल 1994 में दो कथित मालदीव के महिला खुफिया अधिकारियों को रक्षा विभाग से जुड़ी गुप्त जानकारी लीक करने का आरोप लगाया गया था।