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Uttar Pradesh: यूपी के पूर्व आईएएस अफसरों ने किसानों से की आंदोलन खत्म करने की अपील, लिखा पत्र

Uttar Pradesh: पूर्व आईएएस अफसर सुदेश ओझा व अन्य अफसरों ने किसानों से अपील कि कांट्रैक्ट खेती कोई नई चीज नहीं है। प्रदेश के कई हिस्सों में पहले से हो रही है। इसमें किसान अपनी मर्जी से सिर्फ फसल का कांट्रैक्ट करता है। न कि जमीन का। कांट्रैक्ट खेती से किसानों की जमीन जाने का भ्रम फैलाया जा रहा है।

लखनऊ। तीन नए कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर चल रहे किसान आंदोलन को समाप्त करने की अपील उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारियों ने की है। राज्य के पूर्व नौकरशाहों ने किसानों को कृषि सुधार कानूनों के फायदे गिनाते हुए तत्काल आंदोलन खत्म करने की अपील की है। यूपी के पूर्व मुख्य सचिव अतुल गुप्ता ने कहा कि किसानों को किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्हें कृषि कानूनों के फायदे के बारे में खुद जानना चाहिए। प्रशासन और पुलिस के पूर्व अधिकारियों ने किसानों से अपील की है कि आपके आंदोलन से आम जनता को परेशानी हो रही है।

farmer protest

अतुल गुप्ता ने कहा कि केन्द्र व राज्य सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने का काम किया है। सरकार ने बजट में कृषि के सु²ढ़ीकरण के साथ-साथ किसानों की आय में वृद्धि के लिए कई अहम प्रावधान किए हैं। उन्होंने कहा कि मंडियां खत्म नहीं की जा रही हैं बल्कि किसानों की सुविधा के लिए मंडियों को ई-नाम के साथ जोड़ा जा रहा है, जिससे उनकी उपज का डेढ़ गुना दाम मिलने की गारंटी होगी। कृषि कानून में सहूलियत दी गई है कि किसान से एग्रीमेंट करने वाला, एग्रीमेंट समाप्त नहीं कर सकता, जबकि किसान एग्रीमेंट खत्म कर सकता है। किसान की उपज से एग्रीमेंट करने वाले को अधिक लाभ होने पर उसे किसान को बोनस भी देना होगा।

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पूर्व आईएएस अफसर सुदेश ओझा व अन्य अफसरों ने किसानों से अपील कि कांट्रैक्ट खेती कोई नई चीज नहीं है। प्रदेश के कई हिस्सों में पहले से हो रही है। इसमें किसान अपनी मर्जी से सिर्फ फसल का कांट्रैक्ट करता है। न कि जमीन का। कांट्रैक्ट खेती से किसानों की जमीन जाने का भ्रम फैलाया जा रहा है।

पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने कहा कि केन्द्र व प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हितों में अनेक फैसले लिए गए, जिसके कारण किसान विकास की मुख्यधारा से जुड़ा है। गन्ना किसानों को 1 लाख 15 हजार करोड़ रुपये का रिकॉर्ड गन्ना मूल्य भुगतान किया तथा बन्द चीनी मिलों को पुन: संचालित कर उनकी क्षमता का विस्तार भी किया है। उन्होंने कहा कि नए कृषि कानूनों से न तो मंडियां बंद होगी और न ही एमएसपी समाप्त होगी। इससे किसानों की फसल का मुनाफा बढ़ेगा। पूर्व डीजीपी ने कहा कि आंदोलन से आम लोग रोज परेशान हो रहे हैं।

Farmers Protest

भारतीय किसान मंच के देवेंद्र तिवारी ने कहा कि नए कृषि कानूनों से किसान जिसे चाहे, जहां चाहे अपनी उपज बेच सकता है। किसान अपनी उपज एमएसपी पर, मंडी में, व्यापारी को, दूसरे राज्य में, एफपीओ के माध्यम से, जहां उचित मूल्य मिले बेच सकता है। तिवारी ने कहा कि नए कृषि सुधारों के बारे में असंख्य भ्रम फैलाए जा रहे हैं। सरकार ने एमएसपी में वृद्धि की है। नए कृषि सुधारों में सुनिश्चित किया गया है कि खरीददार कानूनन समय से भुगतान के लिए बाध्य है। व्यवस्था है कि खरीददार को फसल क्रय के बाद रसीद देनी होगी। साथ ही, तीन दिन में मूल्य का भुगतान भी करना होगा।