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5000 साल के इतिहास में किसी हिंदू राजा ने नहीं तोड़ी कोई मस्जिद : नितिन गडकरी

नितिन गडकरी ने कहा इसलिए हमें वीर सावरकर को हमेशा याद रखना होगा क्योंकि अगर हम भूल जाएंगे तो जो 1947 में हुआ था वो ही दोबारा होगा, इसलिए हिंदुस्तान को भविष्य में जीवित रखना है तो हमें सावरकर को अपने विचारों और सोच में हमेशा जीवित रखना होगा।

नई दिल्ली। अखिल भारतीय स्वातंत्र्यवीर सावरकर साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि पिछले पांच हजार साल के इतिहास में ऐसी कोई भी घटना नहीं है, जिसमें किसी हिंदू राजा ने किसी मस्जिद को तोड़ा हो, धर्म तोड़ने का नहीं बल्कि जोड़ने का काम करता है, किसी भी हिंदू शासक ने तलवार के दम पर किसी का धर्म नहीं बदलवाया है, हमारी भारतीय संस्कृति प्रगतिशील है, यह संकुचित नहीं है, जातिवादी नहीं है, सांप्रदायिक नहीं है।

Nitin GAdkari Nagpur new

नितिन गडकरी ने कहा इसलिए हमें वीर सावरकर को हमेशा याद रखना होगा क्योंकि अगर हम भूल जाएंगे तो जो 1947 में हुआ था वो ही दोबारा होगा, इसलिए हिंदुस्तान को भविष्य में जीवित रखना है तो हमें सावरकर को अपने विचारों और सोच में हमेशा जीवित रखना होगा। सावरकर के विचारों को अनदेखा करने पर हमने देश का बंटवारा देखा है और अब भी अगर हम उस ओर ध्यान नहीं देंगे तो हमारे देश में ही नहीं दुनिया में न समाजवाद रहेगा, न लोकतंत्र रहेगा न धर्मनिरपेक्षता रहेगी।

Nitin-Gadkari

गडकरी ने कहा कि सेकुलर का मतलब धर्मनिरपेक्षता नहीं बल्कि सर्वधर्म समभाव है। यह हिंदू संस्कृति का नैसर्गिक रूप है। उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में हमें सर्वसमावेशक, प्रगतिशील होते हुए सही अर्थों में सर्वधर्म समभाव के रास्ते आगे जाना है। माइनॉरिटी की या किसी भी कम्युनिटी का तुष्टीकरण करना सेकुलरिज्म नहीं है।

गडकरी ने सावरकर का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने एक भाषण में कहा था कि जिस देश में मुस्लिम 51 प्रतिशत हैं उस देश में न लोकतंत्र है न समाजवाद और न ही धर्म निरपेक्षता है। तब तक यह चलेगा जब तक मुस्लिम बहुसंख्यक नहीं होते। बहुसंख्यक मुस्लिम होने के बाद देश कैसे चलता है उसके लिए पाकिस्तान, सीरिया को देख लें। भाजपा नेता ने कहा कि मुस्लिम समाज में भी प्रगतिशील और उदारवादी लोग हैं। हम मुस्लिम या मुस्लिम संस्कृति के खिलाफ नहीं हैं। जो आतंकवादी हैं, जो कहते हैं हम अच्छे हैं बाकी सब काफिर हैं, सबको हटाओ- इस प्रवृत्ति के खिलाफ हैं।