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कांग्रेस में बदलाव की मांग तेज, 50 सालों तक विपक्ष में बैठने को लेकर गुलाम नबी आजाद ने कह दी बड़ी बात

आजाद(Gulam Nabi Azad) उन लोगों की कड़ी आलोचना की, जो पार्टी में संगठन चुनाव कराए जाने पर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग वफादारी का दावा कर रहे हैं, वे वास्तव में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक हैं।

नई दिल्ली। कांग्रेस, जो देश की 135 साल पुरानी पार्टी होने का दम भरती है, आज उसके ही अंदर बदलाव की मांग को लेकर उसके ही दिग्गज नेता सवाल खड़े कर रहे हैं। पार्टी संगठन में नए सिरे से बदलाव की मांग को लेकर कुछ वरिष्ठ नेताओं ने आलाकमान को चिट्ठी भी लिखी लेकिन जब कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक हुई तो चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को ही जमकर सुनाया गया।

gulam nabi azad

इसके बाद भी बदलाव की मांग करने वाले नेता अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। राज्यसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी को लेकर कहा है कि, अगर पार्टी में संगठन चुनाव नहीं हुए, बड़े बदलाव नहीं हुए तो पार्टी को इसका खामियाजा विपक्ष में कई सालों तक बैठकर चुकाना होगा। आजाद ने कहा कि, एक प्रतिशत लोग भी इस बात के समर्थन में नहीं हो सकते हैं कि अध्यक्ष पद पर किसी को बिना चुनाव के नियुक्त कर दिया जाए। आजाद उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने कांग्रेस के अंदर संगठन चुनाव की मांग करते हुए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी। आजाद ने आगे यह भी कहा कि अगर संगठन का चुनाव जीत कर आने वाले लोग कांग्रेस का नेतृत्व नहीं करेंगे तो पार्टी अगले 50 वर्षों तक विपक्ष में बैठी रहेगी।

गुलाम नबी आजाद ने न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया, “जब आप चुनाव लड़ते हैं तो कम से कम 51 प्रतिशत लोग आपके साथ होते हैं और आप पार्टी के भीतर केवल 2 से 3 लोगों के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं। एक व्यक्ति जिसे 51 प्रतिशत वोट मिलेंगे, अन्य को 10 या 15 प्रतिशत वोट मिलेंगे। जो व्यक्ति जीतेगा वह अध्यक्ष बनेगा, इसका मतलब है कि 51 प्रतिशत लोग उसके साथ हैं। चुनाव का लाभ है कि जब आप चुनाव लड़ते हैं, तो कम से कम आपकी पार्टी के 51 प्रतिशत लोग आपके साथ खड़े होते हैं। अभी अध्यक्ष बनने वाले व्यक्ति के पास एक प्रतिशत समर्थन भी नहीं हो सकता है। यदि CWC के सदस्य चुने जाते हैं, तो उन्हें हटाया नहीं जा सकता। ऐसे में समस्या क्या है।”

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संगठन में चुनाव कराए जाने की मांग को लेकर आजाद ने कहा कि, “जो दूसरे, तीसरे या चौथे स्थान पर रहेंगे, वे सोचेंगे कि हमें कड़ी मेहनत करते हुए पार्टी को मजबूत करना होगा और अगली बार जीतना होगा। लेकिन, अभी जो अध्यक्ष चुना गया है, उसे पार्टी के एक प्रतिशत कार्यकर्ताओं का समर्थन भी नहीं है।” उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी को भी राज्य में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नियुक्त कर रही है। यै वैसे व्यक्ति होते हैं, जिनका दिल्ली आना-जाना लगा रहता है और जिसकी सिफारिश पार्टी के बड़े नेताओं द्वारा की जाती है।

आजाद ने उन लोगों की कड़ी आलोचना की, जो पार्टी में संगठन चुनाव कराए जाने पर विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जो लोग वफादारी का दावा कर रहे हैं, वे वास्तव में सस्ती राजनीति कर रहे हैं और पार्टी और राष्ट्र के हितों के लिए हानिकारक हैं। आजाद ने कहा, “जो पदाधिकारी या राज्य इकाई के अध्यक्ष या ब्लॉक जिला अध्यक्ष हमारे प्रस्ताव पर हमला करते हैं, वे जानते हैं कि चुनाव होने पर वे कहीं नहीं होंगे। मैंने कहा है कि पार्टी के राज्य, जिला और ब्लॉक अध्यक्ष का चुनाव पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा किया जाना चाहिए।”

Ghulam Nabi Azad

उन्होंने पिछले कई दशकों से पार्टी में चुनाव नहीं कराने के लिए अफसोस जताया और कहा, “पिछले कई दशकों से हमारे पास पार्टी में निर्वाचित निकाय नहीं हैं। हो सकता है कि हमें 10-15 साल पहले इसके लिए प्रयास करना चाहिए था। अब हम चुनाव पर चुनाव हार रहे हैं। अगर हमें वापस आना है तो हमें चुनाव के जरिए ही अपनी पार्टी को मजबूत करना होगा।’ आगे उन्होंने कहा कि अगर मेरी पार्टी अगले 50 वर्षों के लिए विपक्ष में रहना चाहती है, तो पार्टी के भीतर चुनाव की कोई आवश्यकता नहीं है।