Happy Engineers Day 2021: इंजीनियर्स डे पर PM मोदी ने किया विश्वेश्वरैया को याद, अर्पित की श्रद्धांजलि
Happy Engineers Day 2021: देश के कई नदियों के बांध और पुल को कामयाब और मजबूत बनाने के पीछे सर एम विश्वेश्वरैया का बहुत बड़ा हाथ रहा है। विश्वेश्वरैया ने ही देश में बढ़ रही पानी की समस्या को खत्म करने का प्रयास किया था।
नई दिल्ली। देश में 15 सिंतबर को इंजीनियर्स डे मनाया जाता है। ये दिन इसलिए भी खास है क्योंकि इसी दिन महान अभियंता और भारत रत्न एम विश्वेश्वरैया (M Visvesvaraya) का जन्मदिन भी है। विश्वेश्वरैया भारत के महान इंजीनियरों में से एक थे। उन्होंने आधुनिक भारत की रचना कर देश को एक नया रुप दिया है। 15 सिंतबर का ये दिन देश के इंजीनियरों के प्रति सम्मान और उनके कार्य की सराहना को याद करने के लिए मनाया जाता है। ये उन लोगों को समर्पित है जिन्होंने तकनीक के जरिये विकास को गति देने का काम किया। इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इंजीनियरों को बधाई दी।
पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए लिखा, ‘हमारे ग्रह को बेहतर और तकनीकी रूप से उन्नत बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए उन्हें धन्यवाद देने के लिए कोई शब्द पर्याप्त नहीं हैं। मैं उल्लेखनीय श्री एम. विश्वेश्वरैया को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी उपलब्धियों को याद करता हूं।’
Greetings on #EngineersDay to all hardworking engineers. No words are enough to thank them for their pivotal role in making our planet better and technologically advanced. I pay homage to the remarkable Shri M. Visvesvaraya on his birth anniversary and recall his accomplishments.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 15, 2021
बता दें, देश के कई नदियों के बांध और पुल को कामयाब और मजबूत बनाने के पीछे सर एम विश्वेश्वरैया का बहुत बड़ा हाथ रहा है। विश्वेश्वरैया ने ही देश में बढ़ रही पानी की समस्या को खत्म करने का प्रयास किया था। भारत सरकार ने साल 1968 में डॉ. एम विश्वेश्वरैया की जन्मतिथि को ‘अभियंता दिवस’ यानि कि इंजीनियर्स डे के रूप में घोषित किया गया था। तभी से हर साल 15 सिंतबर को इंजीनियर्स डे के रूप में मनाया जाता है।
कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था जन्म
15 सितंबर 1860 को कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था जन्में विश्वेश्वरैया को भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से भी नवाजा जा चुका है। विश्वेश्वरैया कृष्ण राजा सागर डैम प्रोजेक्ट के चीफ इंजीनियर भी रहे थे।
1883 में पूना के साइंस कॉलेज से इंजीनियरिंग में स्नातक करने के बाद विश्वेश्वरैया को तत्काल ही सहायक इंजीनियर पद पर सरकारी नौकरी मिल गई थी। वे मैसूर के 19वें दीवान थे और 1912 से 1918 तक रहे। मैसूर में किए गए उनके कामों के कारण उन्हें मॉर्डन मैसूर का पिता कहा जाता है। इस मौके पर इंजीनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को उनके अचीवमेंट्स पर अवॉर्ड दिए जाते हैं। 1955 में विश्वेश्वरैया जी को भारत का सबसे बड़ा सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था।