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Gyanvapi Mosque Case: वाराणसी के जिला जज आज से सुनेंगे ज्ञानवापी मस्जिद का मामला, मुस्लिम पक्ष ने हिंदुओं के केस को दी है चुनौती

हिंदू पक्ष की ओर से ये केस 18 अगस्त 2021 को दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने दाखिल किया था। इन महिलाओं ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें मस्जिद परिसर में मां शृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना करने दी जाए।

वाराणसी। यूपी के वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के मसले पर आज जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेस के कोर्ट में सुनवाई होनी है। जिला जज को इस मामले को सुनने का आदेश सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों दिया था। 8 हफ्ते में सुनवाई कर फैसला सुनाने को कहा गया है। कोर्ट ये तय करेगा कि नागरिक प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 के नियम 11 के तहत हिंदू पक्ष का वाद सही है या नहीं। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद संबंधी हिंदू पक्ष का केस प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 के तहत सुनवाई के योग्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने जिला जज से कहा है कि वो पहले मस्जिद पक्ष की अर्जी को प्राथमिकता के आधार पर सुने। इससे पहले ये सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन रवि कुमार दिवाकर कर रहे थे। उनके आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

Varanasi Gyanvapi Case..

हिंदू पक्ष की ओर से ये केस 18 अगस्त 2021 को दिल्ली की राखी सिंह और वाराणसी की लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू ने दाखिल किया था। इन महिलाओं ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें मस्जिद परिसर में मां शृंगार गौरी की रोज पूजा-अर्चना करने दी जाए। इसके अलावा मस्जिद परिसर में अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को सुरक्षित रखने की भी उन्होंने अर्जी दी है। इस अर्जी पर सिविल जज सीनियर डिविजन ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए सर्वे कराया था। ये सर्वे पहले 6 मई और फिर 14,15 और 16 मई को हुआ था। सर्वे के दौरान मस्जिद के वजूखाने के टैंक में शिवलिंग जैसी आकृति मिली। मुस्लिम पक्ष ने हालांकि दावा किया कि ये फव्वारा है।

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए मुस्लिम पक्ष की ये दलील ठुकरा दी थी कि ज्ञानवापी का केस प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत आता है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने साफ कहा था कि एक्ट के तहत किसी जमीन के धार्मिक स्वरूप का पता लगाने पर कोई रोक नहीं है। बता दें कि ब्रिटिश यात्री पीटर मुंडी ने अपनी किताब में आदि विश्वेश्वर मंदिर में भगवान शिव की पूजा का उल्लेख किया है। मुंडी ने वहां शिवलिंग होने का दावा भी किया था। वो मुगल शासक शाहजहां के दौर में वाराणसी आया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि मंदिर को 4 बार ढहाया गया। आखिरी में 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने मंदिर को ढहाकर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई।