Maharashtra political crisis: इधर उद्धव मुंबई में सरकार बचाने की करते रहे कोशिश, उधर शिंदे बागी विधायकों को सूरत से ले कर पहुंच गए असम

Maharashtra political crisis: उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे से मिलने के लिए मिलिंद नार्वेकर को अपना दूत बनाकर भेजा था। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। इस बातचीत में एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके साथ कुल 40 विधायकों का समर्थन है। शिंदे ने कहा कि मैंने पार्टी विरोध में किसी तरह का कोई भी फैसला नहीं लिया फिर मुझे ग्रुप लीडर पद से क्यों हटाया गया।

रितिका आर्या Written by: June 22, 2022 9:45 am
Maharashtra political crisis

नई दिल्ली। महाराष्ट्र में इस वक्त जो सियासी संकट पैदा हुआ है उसे देखकर सबके मन में यही सवाल उठ रहा है कि क्या राज्य की उद्धव ठाकरे की सरकार? गिर जाएगी?। इस सवाल के पीछे की वजह एकनाथ शिंदे की वो शर्त मानी जा रही है जिससे राज्य की सियासत में भूचाल आया हुआ है। एकनाथ शिंदे ने ठाकरें को लेकर ये साफ कर दिया है वो शिवसेना में हैं और रहेंगे लेकिन शर्त ये है कि  शिवसेना कांग्रेस एनसीपी को छोड़कर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ले।

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एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर के बाद महाराष्ट्र में उद्धव सरकार की कुर्सी हिलती हुई नजर आ रही है। शिंदे राज्य में हुए एमएलसी चुनाव के बाद पहले मुंबई से सूरत और अब वहां से बागी विधायकों की फौज को लेकर गुवाहाटी शिफ्ट हो गए हैं। शिंदे ने अपने साथ 40 विधायकों के होने का बड़ा दावा किया है। इसके अलावा शिंदे के साथ 33 शिवसेना के बागी विधायक और 7 निर्दलीय भी पहुंचे हैं।

इन सभी बागियों को गुवाहाटी के रेडिसन ब्लू में ठहराया गया है। बीजेपी नेता सुशांत बोरगोहेन और पल्लब लोचन दास उन्हें रिसीव करने के लिए पहुंचे थे। सुशांत बोरगोहेन ने कहा, “मैं यहां इन्हें (सूरत से गुवाहाटी आए विधायक) लेने आया हूं। मैं व्यक्तिगत रिश्ते की वजह से इन्हें यहां लेने आया हूं। मैंने गिनती नहीं की हुई है कि कितने विधायक यहां आए हुए हैं। मुझे उन्होंने अपने कार्यक्रम के बारे में नहीं बताया है।”

मैं बाला साहब ठाकरे का सच्चा शिवसैनिक- शिंदे

उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे से मिलने के लिए मिलिंद नार्वेकर को अपना दूत बनाकर भेजा था। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक बातचीत हुई। इस बातचीत में एकनाथ शिंदे ने दावा किया कि उनके साथ कुल 40 विधायकों का समर्थन है। शिंदे ने कहा कि मैंने पार्टी विरोध में किसी तरह का कोई भी फैसला नहीं लिया फिर मुझे ग्रुप लीडर पद से क्यों हटाया गया। मेरा शिवसेना छोड़ने का कोई विचार नहीं, मैं हमेशा से ही बाला साहब ठाकरे का सच्चा शिवसैनिक था और रहूंगा।