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J&K: कश्मीरी हिंदुओं की टारगेट किलिंग रोकने के साथ आतंकियों का होगा पूरा सफाया, ये है गृहमंत्री अमित शाह की प्लानिंग

इस बीच, हिंदू सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र के निर्देश पर लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में तय किया गया कि पीएम रोजगार पैकेज के तहत नियुक्त कश्मीरी पंडितों को 6 जून तक सुरक्षित जगहों पर पोस्टिंग दी जाएगी।

नई दिल्ली। कश्मीर घाटी में पिछले कुछ समय से हिंदुओं की टारगेट किलिंग यानी पहचान कर हत्या के मामले रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार कितनी संजीदा है, ये इसी से पता चलता है कि अब खुद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह मैदान में उतर पड़े हैं। शाह ने इन हमलों को रोकने और ऐसे टारगेट किलिंग करने वाले आतंकियों को निपटाने की तैयारी शुरू कर दी है। अधिकारियों के मुताबिक अमित शाह 3 जून को जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा और अफसरों के साथ उच्चस्तरीय बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में अमरनाथ यात्रा के दौरान सुरक्षा तगड़ी रखने के तौर-तरीकों पर भी चर्चा होगी। कुल मिलाकर घाटी में फिर अमन चैन और आतंकियों के सफाए की नए सिरे से रणनीति इस बैठक में तय होनी है।

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इस बीच, हिंदू सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए केंद्र के निर्देश पर लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में बुधवार को हुई बैठक में तय किया गया कि पीएम रोजगार पैकेज के तहत नियुक्त कश्मीरी पंडितों को 6 जून तक सुरक्षित जगहों पर पोस्टिंग दी जाएगी। इनकी समस्या का हल निकालने के लिए केंद्र शासित प्रदेश की सरकार खास प्रकोष्ठ भी बनाने जा रही है। अगर किसी अफसर ने इन हिंदू कर्मचारियों को प्रताड़ित किया, तो उस पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। बता दें कि हाल ही में आतंकियों ने एक हिंदू टीचर रजनी बाला की हत्या की थी। उससे पहले सरकारी दफ्तर में घुसकर उन्होंने राहुल भट्ट नाम के कर्मचारी की जान ले ली थी। सूत्रों के मुताबिक अब हिंदू कर्मचारियों को एक ही शहर में तैनात किया जाएगा। उन्हें आवास भी दिए जाएंगे।

farooq abdullah 1

उधर, इस मसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारुक अब्दुल्ला ने भी अपना सियासी राग अलग अंदाज में छेड़ा है। फारुक ने सरकार को अमरनाथ यात्रा के दौरान बहुत सतर्क रहने की नसीहत दे दी। फारुक ने कहा कि अगर अमरनाथ यात्रा के समय कोई अप्रिय घटना हुई, तो इसके खतरनाक नतीजे हो सकते हैं और ये नतीजे सिर्फ जम्मू-कश्मीर तक ही सीमित नहीं रहेंगे। इसलिए धार्मिक यात्रा करने वालों की सुरक्षा को हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए।