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BUDGET 2022: बजट में ऑटो सेक्टर को कितनी राहत, जानिए क्या सस्ते होंगे बाइक, स्कूटर

BUDGET 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देगी। वित्त मंत्री ने बताया कि, इलेक्ट्रिक बसों और कमर्शियल व्हीकल का निर्माण करने वाली ऑटो कंपनियों को सरकार की ओर से मदद दी जाएगी।

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज संसद में वित्त वर्ष 2022-23 के लिए देश का आम बजट पेश कर दिया। भारतीय ऑटो उद्योग को बढ़ावा देने के लिए बजट में कई घोषणाएं की गई हैं। ऑटो सेक्टर को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद अहम माना जाता है, क्योंकि इस सेक्टर की हिस्सेदारी देश की जीडीपी में 7.5 फीसदी है। सरकार ने 2022-23 के बजट में ऑटो सेक्टर को ध्यान में रखते हुए कई पॉलिसी लॉन्च की हैं। इसी कड़ी में सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बढ़ावा देने के लिए नई पॉलिसी पेश की हैं। संसद में वित्त मंत्री ने नए स्पेशल मोबिलिटी जोन पेश किए, जो सिर्फ इलेक्ट्रिक वाहनों को समर्पित होंगे। उन्होंने घोषणा की कि ये जोन जीवाश्म ईंधन (fossil fuel) से चलने वाले वाहनों से मुक्त होंगे।

FM Nirmala Sitharaman

बैटरी स्वैपिंग नीति लागू होगी लागू

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि, इलेक्ट्रिक व्हीकल इकोसिस्टम को बढ़ावा देने के लिए जल्द ही बैटरी स्वैपिंग नीति लागू की जाएगी। इस पॉलिसी से भारत के ईवी (EV) इको सिस्टम को फायदा पहुंचेगा। साथ ही कार बनाने वाली कंपनियों और ईवी चार्जिंग इंफ्रा प्लेयर्स को भी इस पॉलिसी से फायदा मिलेगा। इसके जरिए भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीद को बढ़ावा मिलेगा। वहीं, बैटरी स्वैपिंग पॉलिसी में सरकार प्राइवेट कंपनियों को बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

पब्लिक ट्रांसपोर्ट में भी इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, सरकार पब्लिक ट्रांसपोर्ट सेक्टर में भी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को बढ़ावा देगी। वित्त मंत्री ने बताया कि, इलेक्ट्रिक बसों और कमर्शियल व्हीकल का निर्माण करने वाली ऑटो कंपनियों को सरकार की ओर से मदद दी जाएगी।

आम आदमी को राहत नहीं

ऑटो सेक्टर के बजट में कंपनियों के लिए बड़ी घोषणाएं की गई, मगर आम आदमी को इस बजट से राहत मिलती नहीं दिखाई दे रही है। बजट में इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर जरूर घोषणाएं की गई, मगर EV खरीदने के दौरान टैक्स में कटौती और रिवाइज्ड ड्यूटी स्ट्रक्चर जैसी मांगों को ध्यान में नहीं रखा गया। वहीं ऑटो सेक्टर में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल की बढ़ती कीमतों को लेकर कोई घोषणा नहीं की गई। ऐसे में आम आदमी जो महंगाई कम होने की बाय ज्हो रहा था, उसकी उम्मीदें धरी की धरी रह गई।