हैदराबाद पुलिस ने कन्हैया कुमार को जनसभा की अनुमति नहीं दी

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को हैदराबाद में होने वाली अपनी एक जनसभा रद्द करनी पड़ी है। इस सभा को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार सोमवार को यहां संबोधित करने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

Avatar Written by: January 13, 2020 3:09 pm

नई दिल्ली।  भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) को हैदराबाद में होने वाली अपनी एक जनसभा रद्द करनी पड़ी है। इस सभा को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार सोमवार को यहां संबोधित करने वाले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी। यह जनसभा नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ सोमवार को मेहदीपट्टनम स्थित क्रिस्टल गार्डन में आयोजित होनी थी।


भाकपा की हैदराबाद शहर इकाई को अंतिम समय में बैठक रद्द करनी पड़ी, क्योंकि पुलिस ने इसके लिए अनुमति नहीं दी। पुलिस ने इस जनसभा के लिए मना करने के बारे में पार्टी के नेताओं को सूचित नहीं किया, बल्कि जहां सभा आयोजित होनी थी, वहां के प्रबंधन को सभा के लिए व्यवस्था नहीं करने का निर्देश दिया गया।


भाकपा हैदराबाद के सचिव ई. टी. नरसिम्हा ने आईएएनएस को बताया कि वे सार्वजनिक सभा की अनुमति नहीं देने के मामले में पुलिस कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।भाकपा के राष्ट्रीय सचिव के. नारायण और पूर्व सांसद सैयद अजीज पाशा को कन्हैया कुमार के साथ सभा को संबोधित करना था।

अजीज पाशा ने एक सार्वजनिक सभा की अनुमति नहीं देने पर पुलिस की निंदा की। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस अधिकारी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं। भाकपा नेता ने कहा कि पुलिस शांतिपूर्ण जनसभाओं की अनुमति से इनकार करके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन कर रही है।


भाकपा नेताओं का कहना है कि कुछ समूहों को विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की अनुमति क्यों दी जा रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने पिछले महीने भी एक विरोध मार्च के लिए वाम दलों को अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इससे पहले मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को भी सीएए के खिलाफ रैली आयोजित करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इसके नेताओं ने हैदराबाद के पुलिस आयुक्त अंजनी कुमार के खिलाफ पक्षपाती होने की राज्यपाल तमिलसाई सौंदराजन से शिकायत की थी।