
नई दिल्ली। संन्यास परंपरा में गुरू को माता-पिता और भगवान के समान माना जाता है। लेकिन आईआईटी वाले बाबा अभय ने इस परंपरा को न सिर्फ तोड़ा, बल्कि अपने गुरू सोमेश्वर पुरी के प्रति विश्वासघात कर अखाड़े की गरिमा पर भी सवाल खड़े किए। इन आरोपों के चलते जूना अखाड़े ने बाबा अभय को निष्कासित कर दिया।
गुरु का अपमान बना निष्कासन का कारण
सूत्रों के अनुसार, बाबा अभय पर आरोप है कि उन्होंने अपने गुरू सोमेश्वर पुरी का कई बार अपमान किया और उन्हें साजिश के आरोप लगाए। अखाड़े की ओर से कई बार उन्हें समझाया गया और सुधरने का मौका भी दिया गया। पहले उन्हें एक शिविर से हटाकर दूसरे शिविर में भेजा गया, लेकिन उनके व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया।
जूना अखाड़े ने अभय सिंह को अखाड़े से निष्कासित किया..
यहीं हैं सोशल मीडिया की ताकत..! pic.twitter.com/R7TcLvUiCc
— Vandana Sonkar (@Vndnason) January 19, 2025
मुख्य संरक्षक ने सुनाया सख्त फैसला
जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक हरि गिरी महाराज ने इसे अखाड़े की परंपरा का उल्लंघन मानते हुए बाबा अभय को निष्कासित करने का फैसला किया। अब बाबा अभय न तो जूना अखाड़े के किसी शिविर में रह पाएंगे और न ही किसी कार्यक्रम में हिस्सा ले पाएंगे।
लोकप्रियता और नशे के आरोप
बाबा अभय ने अपने गुरू पर आरोप लगाया है कि उनकी बढ़ती लोकप्रियता के कारण उन्हें अखाड़े से निकाला गया। हालांकि, जूना अखाड़े के अन्य संतों का कहना है कि अभय नशे में अक्सर अनुचित बातें करते थे और सन्यासियों को समझाने के बावजूद उनका व्यवहार सुधरने के बजाय और खराब होता गया।
गुरु का महत्व और परंपरा की रक्षा
अखाड़े के संतों का कहना है कि गुरु को ईश्वर तुल्य माना जाता है और उनकी विनम्रता व आज्ञा पालन से ही परंपरा जीवित रहती है। अभय के व्यवहार ने इस परंपरा को आघात पहुंचाया, जिससे उन्हें बाहर का रास्ता दिखाना पड़ा।