War To Win: यूपी से लेकर पंजाब तक कई नेताओं की इज्जत का सवाल बनेंगे विधानसभा चुनाव
5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। 10 फरवरी से वोटिंग होगी और 7 मार्च तक चलेगी। नतीजे 10 मार्च को आएंगे। चुनावों की तारीखों के एलान के साथ ही पांच में से 4 राज्यों के नेताओं की इज्जत भी दांव पर लग गई है। ये सारे बड़े नेता हैं और चुनाव में जीत और हार इनके सियासी सफर के लिए बहुत मायने रखता है।
नई दिल्ली। 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। 10 फरवरी से वोटिंग होगी और 7 मार्च तक चलेगी। नतीजे 10 मार्च को आएंगे। चुनावों की तारीखों के एलान के साथ ही पांच में से 4 राज्यों के नेताओं की इज्जत भी दांव पर लग गई है। ये सारे बड़े नेता हैं और चुनाव में जीत और हार इनके सियासी सफर के लिए बहुत मायने रखता है। पहले बात करते हैं यूपी की। यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ पर दोबारा सरकार बना लेने का दबाव है। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव हर हाल में बीजेपी को पटकनी देकर सत्ता हासिल करना चाहते हैं। सबसे ज्यादा 4 बार सीएम रहीं मायावती का इरादा फिर बीएसपी को सत्ता के शीर्ष पर ले जाने का है। वहीं कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा अपनी पार्टी को फिर से जीवित करने के लिए भरसक कोशिश कर रही हैं।
यूपी से अलग होकर बने राज्य उत्तराखंड की बात करें, तो यहां की 70 सीटों वाली विधानसभा में 2017 में बीजेपी ने परचम फहराया था। इस बार भी बीजेपी यहां फिर से चुनाव जीतना चाहती है। इस ख्वाहिश में कांग्रेस भी है। नतीजे में सीएम पुष्कर सिंह धामी और कांग्रेस के पूर्व सीएम हरीश रावत की इज्जत यहां दांव पर है। आम आदमी पार्टी भी मैदान में इस बार उतर रही है। उसका चेहरा अरविंद केजरीवाल हैं। उनकी भी इज्जत का सवाल ये चुनाव बनेंगे। गोवा की बात करें तो बीजेपी के सीएम प्रमोद सावंत हैं। उनके अलावा इस बार टीएमसी भी मैदान में कूदी है। ममता बनर्जी भले ही पश्चिम बंगाल की सीएम हों, लेकिन गोवा में उनकी भी इज्जत जीत और हार पर टिकी हुई है।
अब बात पंजाब की। यहां पिछली बार कांग्रेस ने 177 में से 77 सीटों पर जीत हासिल कर अकाली दल और बीजेपी के गठबंधन को पटकनी दी थी। यहां अब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है। वहीं, अकाली दल का बीएसपी से गठजोड़ हुआ है। बीजेपी ने अमरिंदर को साथ लिया है और पिछली बार 20 सीटें जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनने वाली आम आदमी पार्टी भी है। कुल मिलाकर यहां अमरिंदर सिंह, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू, बादल खानदान और अरविंद केजरीवाल के बीच इज्जत बचाने या हासिल करने की जंग लड़ी जानी है।