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Gyanvapi hearing SC: ज्ञानवापी केस में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से झटका, SC ने 3 सुझाव देते हुए कहा, ‘अनुभवी जिला जज…’

Hearing on supreme court: जिसमें इलाहबाद हाईकोर्ट, वाराणसी और अब सुप्रीम कोर्ट भी इसमें शुमार हो चुका है। अब ऐसी स्थिति में देखना होगा कि कोर्ट की तरफ से ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर क्या कुछ फैसला आता है। 

नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट में आज ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर सुनवाई शुरू हो चुकी है। आज इस पूरे मसले पर कोर्ट अपना रुख स्पष्ट करेगी। ध्यान रहे कि ज्ञानवापी मस्जिद का मसला वर्तमान में तीन अदालतों की चौखट पर दस्तक दे चुका है। जिसमें इलाहबाद हाईकोर्ट, वाराणसी और अब सुप्रीम कोर्ट भी इसमें शुमार हो चुका है। बता दें कि सुनवाई शुरू करने के लिए तीनों ही जज अपने चैंबर से बाहर निकल चुके हैं। माना जा रहा है कि चार बजे तक कोर्ट में सुनवाई होगी। वहीं, हिंदू पक्षों की ओर से कोर्ट में 274 पन्नों का हलफनामा दाखिल किया जा चुका है। बता दें कि अभी हिंदू पक्षों की ओर से हलफनामा दाखिल किया जा चुका है।

वहीं, न्यायाधीश ने जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने पहले सभी पक्षकारों के वकीलों के बारे में जाना. इसके बाद ऑर्डर 7 के नियम 11 के बारे में जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताते हुए कहा कि ऐसे मामलों में जिला न्यायाधीश को ही सुनना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश ने कहा कि जिला जज के पास 25 साल का अनुभव है। लिहाजा SC चाहता है कि जिला जज इस पूरे मसले की सुनवाई करे। वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि इस तरह के मसले समाज में अव्यवस्था पैदा कर सकता है। मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि इस तरह के मसले समाज में वैमनस्यता फैला सकते हैं।

CS वैद्यनाथन ने कहा कि धार्मिक स्थिति और कैरेक्टर को लेकर जो रिपोर्ट आई है, जिला अदालत को पहले उस पर विचार करने को कहा जाए. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हम उनको निर्देश नहीं दे सकते कि कैसे सुनवाई करनी है। उनको अपने हिसाब से करने दिया जाए।

उधर, मुस्लिम पक्ष के द्वारा लगातार प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया जा रहा है। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस फैसले का दूरगामी असर होगा। इसलिए मैं आज ही आदेश की मांग करता हूं। मुस्लिम पक्ष इस सुनवाई की मांग को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।  उनका कहना है कि इस तरह के फैसले समाज में विभाजनकारी स्थिति पैदा कर सकते हैं।

कोर्ट ने कहा कि यह तय करने के लिए कि जांच कमीशन की नियुक्ति का आदेश सही था या नहीं उस बारे में एक पैनल नियुक्त किया जा सकता है। लेकिन जिस क्षण हम अंतरिम आदेश जारी रखते हैं, इसका मतलब है कि हमारा आदेश जारी है। मुस्लिम पक्षकारों के वकील हुजैफा अहमदी ने कहा कि अब तक जो भी आदेश ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए हैं वो माहौल खराब कर सकते हैं। कमीशन बनाने से लेकर अब तक जो भी आदेश आए हैं, उसके जरिए दूसरे पक्षकार गड़बड़ कर सकते हैं। स्टेटस को यानी यथा स्थिति बनाए रखी जा सकती है।

उधर, यूपी सरकार ने अपनी दलील मुस्लिम पक्ष की उस दलील को गलत बताया है, जिसमें यह कहा गया  कि मस्जिद में नमाज के दौरान वजू की व्यवस्था नहीं थी। मुस्लिम पक्ष के वकील और यूपी सरकार के वकील के बीच हुई नोकझोंक भी देखने को मिली है। यूपी सरकार के वकील ने मुस्लिम पक्ष के उस दलील को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें कहा गया था कि मस्जिद में नमाज के दौरान वजू की बिल्कुल भी व्यवस्था नहीं थी।

प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट पर शुरू हुई सुनवाई 

वहीं, मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत आप किसी भी धार्मिक स्थल को नहीं बदल सकते हैं। उधर, हिंदू पक्ष ने कहा कि इससे पहले यह मुद्दा उठाया जा चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा मालिकाना नहीं, बल्कि पूजा के अधिकार का है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि यह पूरा मसला जिला जज को ही सौंपी जाए, क्योंकि यह अनुभवी है। अनुभवी जज इस मसले पर अपने अनुभव के आधार पर सार्थक फैसले दे सकते हैं। उधर, मुस्लिम पक्ष की ओर से लगातार यह कहा जा रहा है कि सर्वे के दौरान प्राप्त हुई शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है। इसके साथ ही हिंदू और यूपी सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले की सुनवाई सोमवार या मंगलवार को कर लीजिए। अब आगामी दिनों में सुप्रीम कोर्ट में गीष्मकालीन अवकास भी होने जा रहा है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि कोर्ट में इस मुद्दे पर कब तक सुनवाई होगी। अब मुस्लिम पक्ष का कहना है कि अगर गीष्मकालीन अवकास के उपरांत सुनवाई होती है, तो वजूखाने को पहले जैसी स्थिति में रख दें। लेकिन, यूपी सरकार के वकील ने इसका विरोध किया है। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप इस मसले पर बहस कर रहे हैं, लेकिन हमें वस्तुस्थिति के बारे में हमें जानकारी नहीं है। ऐसे में अभी यह मुमकिन नहीं है कि हम इस पर कोई फैसला दे पाए। जिसके बाद हिंदू पक्षकार का कहना है कि आप  सर्वे से संबंधित रिपोर्ट पढ़ लीजिए, आप इस पूरे मसले से अलगत हो जाएंगे। वहीं, मुस्लिम पक्ष ने कमीशन बनाए जाने का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इस मसले पर कमीशन बनानी ही नहीं चाहिए थी।

उधऱ, सुप्रीम कोर्ट ने पूरे मसले की सुनवाई जिला जल को ट्रांसफर कर दिया गया है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट लगातार इस बात की पैरवी कर रहा था कि इसे जिला जज ही अपने अनुभव के आधार पर सुन सकते हैं। तब तक के लिए आगामी 8 हफ्ते तक अंतरिम आदेश तक जारी रहेगा। जब तक सभी जिला जज के समक्ष अपने पक्ष रख सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आगामी 8 हफ्ते के उपरांत जिला जज के समक्ष सारे तथ्य प्रस्तुत किए जा चुके होंगे। वहीं, कोर्ट ने कहा कि वजू की व्यवस्था की जा चुकी थी। वहीं,  कोर्ट ने जिलाधिकारियों को भी इस संदर्भ में विशेष व्यवस्था करने का निर्देश दिया है। वहीं, इस पूरे मसले की सुनवाई जुलाी के दूसरे हफ्ते में सुनवाई होगी।  तब तक मुस्लिम समाज की सभी आशंकाओं को समाधान किया जाएगा। वहीं, मामले को निचली अदालत को  भेजा गया है। वहीं, जुलाई के दूसरे हफ्ते् तक निचली अदालत के निर्देश पर रोक रहेगी। उधर, सुप्रीम कोर्ट ने भी मुस्लिम पक्षों को साफ कह दिया है कि आप जिला जज के बाद, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में आ सकते हैं।