नई दिल्ली। पिछले 9 महीने से पूर्वी लद्दाख में जारी चीन (China) की चालबाजी के बाद अब भारत ड्रैगन को सबक सिखाने के लिए बड़ा प्लान बना रहा है। बता दें कि भारत चीन के दुश्मन देश के साथ युद्धाभ्यास करने की तैयारी कर रहा है। गौरतलब है कि भारत चीन को सख्त संदेश देने के लिए इस प्लान पर आगे बढ़ रहा है। अभी तक चीन को सुधरने का मौका देने की सोच के साथ भारत इस तरह के कदमों को अपनाने से बच रहा था लेकिन अब उसके खिलाफ सारी हिचक त्याग कर भारत एक के बाद एक कड़े कदम उठा रहा है। बता दें कि चीन के साथ बने तनाव के माहौल में उसे सबक सिखाने और बड़ा मेसेज देने के लिए भारत पहली बार दक्षिण चीन सागर (SCS) में उसके पड़ोसी दुश्मन देश वियतनाम (Vietnam) के साथ साझा नौसेना अभ्यास करने जा रहा है। यह युद्धाभ्यास 26 और 27 दिसंबर को दक्षिण चीन सागर (SCS) में वियतनामी नौसेना के साथ ‘संपर्क और सहयोग संबंधी अभ्यास’ (Passage Drill) होगा।
भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने बताया
गौरतलब है कि इसकी जानकारी भारतीय नौसेना के अधिकारियों ने दी। अधिकारियों का कहना है कि, इस युद्धाभ्यास का मकसद दोनों देशों के बीच समुद्र में सहयोग को बढ़ाना है. नौसेना के अफसरों का कहना है कि इंडियन नेवी का पोत ‘आईएनएस किल्टन’ (INS Kilton) मध्य वियतनाम के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राहत सामग्री लेकर गया है। लौटते समय यह इस अभ्यास में शामिल होगा।
Indian Navy Ship Kiltan docked at Ho Chi Minh City on 24th December carrying 15 tonnes of humanitarian assistance and relief supplies for the victims of the recent flooding and landslides that inflicted several provinces in Central Vietnam: Embassy of India in Vietnam pic.twitter.com/weP24cW3b9
— ANI (@ANI) December 25, 2020
चारों तरफ चीन की आलोचना
यहां खास बात यह भी है कि, वियतनाम के साथ इस तरह का युद्धाभ्यास ऐसे समय में हो रहा है, जब चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी सैन्य उपस्थिति बढ़ा रहा है। चीन ने मौजूदा हालत में SCS में कई कृत्रिम द्वीप बनाकर वहां पर अपने लड़ाकू जेट और मिसाइलें भी तैनात कर दी हैं। इसकी वजह से दुनियाभर में उसके इरादों को लेकर चिंता और आलोचना बढ़ती जा रही है।
चीन की धौंस का वियतनाम पर कोई असर नहीं
बता दें कि सोमवार को पीएम मोदी और वियतनामी (Vietnam) समकक्ष गुयन जुआन फुक के बीच डिजिटल शिखर सम्मेलन हुआ था। इस सम्मेलन में दोनों देशों ने समुद्री सहित रक्षा एवं सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया था। वहीं रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि, वियतनाम ही ऐसा देश है जो दक्षिण चीन सागर (SCS) में चीन (China) की धौंस में नहीं आता।