नई दिल्ली। भारत चीन सीमा विवाद के चलते भारत में चीनी सामानों पर बैन की मांग तेज होती जा रही है। इतना ही नहीं चीनी सामानों को बैन करने की कवायद भी शुरू हो गई है। चीन को लेरक भारत द्वारा अपनाए जा रहे रवैए से चीन की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है। बता दें कि चीन को सबक सिखाने के लिए भारत 12 जून के बाद से चीन से टायरों के आयात पर पाबंदी लगा चुका है।
इसके अलावा साथ ही साइकिल, मोटरसाइकिल, कार, बस और लॉरी के टायरों के आयात पर भी रोक लग गई है। डीजीएफटी से लाइसेंस लेने के बाद ही भारत में चीनी सामान का आयात हो पाएगा। पिछले साल दूध, दूध के उत्पादों के आयात पर पाबंदी लगाई गयी थी। चीन को सबक सिखाने के लिए 47 अरब डॉलर के 150 उत्पादों की गुणवत्ता को लेकर सख्त नियम बनाए जा रहे हैं।
इलैक्ट्रॉनिक उत्पाद, साइकिल, एयरकंडीशनर, खिलौने, प्रैशर कुकर आदि की गुणवत्ता को लेकर सख्ती की जा रही है। इससे कृषि, डेयरी और एमएसएमई जैसे क्षेत्रों को चीन से सस्ते आयातित उत्पादों से बचाव में मदद मिली है। चप्पल, खिलौने, फर्नीचर जैसे गैर जरूरी 89 उत्पादों पर बजट में आयात शुल्क बढ़ाया गया। वहीं अगरबत्ती में काम आने वाले बांस पर आयात शुल्क बढ़ाया गया था। 17 अप्रैल से एफ़डीआई नियमों को कड़ा किया गया है। भारतीय सीमाओं से लगने वाले देशों से केवल सरकार के जरिए निवेश होगा।
ऑप्टिकल फाइबर जैसे कई उत्पादों पर सेफगार्ड ड्यूटी के प्रस्ताव पर वित्त मंत्रालय विचार कर रहा है। स्टेनलैस स्टील जैसे कई चीन से आयातित उत्पादों पर जांच जारी है। निम्न गुणवत्ता के सामानों के आयात पर भारत कड़ी नजर रखे हुए है।