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पीओके में घुसकर उद्दंड बना चीन ताइवान पर भारत को दे रहा ज्ञान

ताइवान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा समर्थन देने से चीन तिलमिला गया है। तिलमिलाए कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शासन ने भारत से अपने ‘आंतरिक’ मामलों में दखल से बचने को कहा है।

बीजिंग। ताइवान की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा समर्थन देने से चीन तिलमिला गया है। तिलमिलाए कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के शासन ने भारत से अपने ‘आंतरिक’ मामलों में दखल से बचने को कहा है। बता दें कि बीजेपी के दो सांसदों, मीनाक्षी लेखी और राहुल कसवान ने ताइवान की नव निर्वाचित राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के शपथ ग्रहण समारोह में वर्चुअली भाग लिया और उन्हें बधाई दी।

भारत वैसे तो ताइवान को लेकर बीजिंग की ‘वन चाइना पॉलिसी’ को मानता रहा है और उसके साथ किसी भी तरह के कूटनीतिक संबंध स्थापित नहीं किए हैं लेकिन अब इस नीति में बदलाव के संकेत मिलते दिख रहे हैं। बीजेपी के दोनों सांसद 41 देशों के उन प्रतिनिधियों में शामिल थे जिन्होंने ताइवान की राष्ट्रपति को बधाई संदेश दिया। इनके अलावा अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ भी शामिल थे।

China Vs Taiwan

सांसदों के ताइवान के कार्यक्रम में शामिल होने से चीन को ऐसी मिर्ची लगी की उसने लिखित ऐतराज जताया है। नई दिल्ली में चीनी दूतावास की काउंसलर (पार्लियामेंट) लिउ बिंग ने लिखित ऐतराज जताते हुए भारत से अपने ‘आंतरिक’ मामलों में दखल से बचने को कहा है। अपनी शिकायत में चीनी राजनयिक ने कहा है कि साइ को बधाई संदेश देना ‘बिल्कुल गलत’ है।

चीनी राजनयिक ने कहा, “एक चीन सिद्धांत यूएन चार्टर और उसके कई प्रस्तावों में मान्य है और यह अंतरराष्ट्रीय संबंधों में आम तौर पर एक मानक है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इस पर मोटे तौर पर सर्वसम्मति है।”

चीन पीओके में भारी निवेश कर वहां खुद को जमाने की कोशिश कर रहा है। उसे भारत को घेरने के लिए पीओके सबसे उपयुक्त स्थान लग रहा है। पाकिस्तान के हालात का पूरा फायदा उठाते हुए चीन यहां बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है जिससे वह कश्मीर के दोनों तरफ से भारत पर दबाव बढा सके।

वहीं इन दिनों पूर्वी लद्दाख में एलएसी से लगे इलाके पैगोंग शो और गालवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई। दरअसल, चीन उत्तरी लद्दाख इलाके पर कब्जा करना चाहता है इसलिए उसकी तरफ से भारत द्वारा हो रहे निर्माण कार्य को लेकर विरोध जताया जाता रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन के सैन्य दबाव बनाने के बावजूद भारत निर्माण कार्य नहीं छोड़ेगा।