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निवेशकों पर भारत की नजर, चीन से बाहर निकलने वाली कंपनी को लेकर उठाए गए ये कदम ताकि यहां हो पाए निवेश प्रक्रिया सरल

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चीन से अपने निवेश समेटकर भारत आने वाली कंपनियों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है।

नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चीन से अपने निवेश समेटकर भारत आने वाली कंपनियों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा कि जो कंपनियां भारत आना चाहती हैं उनके लिए केंद्र और राज्यों के स्तर पर भी तमाम मुद्दों का समाधान किया जाएगा और अनुगूल कारोबारी माहौल उपलब्ध कराया जाएगा।

Nitin Gadkari

मौजूदा परिवेश में चीन के खिलाफ बने माहौल को मंत्री ने संकट के रूप में संयोग बताते हुए कहा कि वह स्वयं ऐसे मामलों की निगरानी करेंगे और इस तरह के निवेशकों की जरूरतों को राजयों के समक्ष उठाएंगे और दोस्ताना निवेश माहौल बनाएंगे।

केंद्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री गडकरी ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि यदि आप इस तरह के दस प्रस्ताव लाते हैं तो मैं उनकी केंद्र और राज्य के स्तर पर आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए आगे रहूंगा। गडकरी यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बड़े उद्योगों से आग्रह किया कि वह सूक्ष्म, लघु एवं मझोले (एमएसएमई) उद्योगों के बकाया भुगतान को 45 दिन के भीतर निपटान करें।

 

गौरतलब है कि सरकार ने मोबाइल फोन उत्पादन में भारत को दुनिया का शीर्ष देश बनाने के लक्ष्य के साथ 50 हजार करोड़ रुपये की लागत से तीन नई योजनाएं शुरू करने की घोषणा की है। लेकिन जानकारों की मानें तो इतने प्रयास से मोबाइल हैंडसेट में चीनी प्रभुत्व को खत्म करना और दुनिया की टॉप मोबाइल कंपनियों को बुलाना आसान नहीं होगा।

क्या है सरकार की योजना

सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह ऐलान करते हुए मंगलवार को कहा कि मेक इन इंडिया किसी दूसरे देश को पीछे छोड़ने के लिए नहीं बल्कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है। मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों एवं उसके कलपुर्जों के उत्पादन को गति देने के उद्देश्य से ये योजनाएं शुरू की गईं हैं।

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10 लाख लोगों को रोजगार का वादा

प्रसाद ने कहा कि इन तीनों योजनाओं से अगले पांच साल में करीब 10 लाख लोगों को रोजगार मिलने का अनुमान है। इसके साथ ही आठ लाख करोड़ रुपये के मैन्युफैक्चरिंगऔर 5.8 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने कहा कि 40995 करोड़ रुपये की प्रोडक्ट लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) योजना का लक्ष्य मोबाइल फोन और इलेक्ट्रानिक कलपुर्जों के उत्पादन को बढ़ाना है।

इनके द्वारा मंत्रालय भारत में वैश्विक मोबाइल हैंडसेट निर्माताओं को भी आकर्षित करना चाहता है और मोबाइल हैंडसेट के लिए ग्लोबल मैन्युफक्चरिंग हब बनना चाहता है।

आंकड़ों के मुताबिक, देश में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग कारोबार साल 2014-15 में 2.9 अरब डॉलर से बढ़कर 2018-19 में 24.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यानी इस दौरान इसमें 70 फीसदी की सालाना बढ़त हुई है।

टॉप 5 कंपनियां भारत आएं

प्रसाद ने कहा कि दुनिया में मोबाइल मार्केट के 80 फीसदी हिस्से पर सिर्फ 5-6 कंपनियों को कब्जा है और इसलिए भारत इन 5 टॉप ग्लोबल प्लेयर्स को यहां आकर्षित करने का इरादा रखता है। इसके अलावा पांच भारतीय कंपनियों को भी प्रमोट करने की योजना है।

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

एक्सपर्ट कहते हैं कि सरकार का यह प्लान कागज पर तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन इसको लागू करना आसान नहीं है. इसके अलावा कई मामलों में स्पष्टता का अभाव है। एक टेलीकॉम एनालिस्ट ने कहा, ‘योग्यता की शर्त में मैन्युफैक्चरिंग और वैल्यू एडिशन की परिभाषा का अभाव है, ऐसे में कोई कंपनी कम्पोनेंट का 100 फीसदी आयात कर पीएलआई का दावा कर सकती है।’