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कोरोना संकट के बीच बड़ी कामयाबी, COVID-19 की दवा बनाने के करीब पहुंचा भारत

रेमेडिसविर का निर्माण गिलियड साइंसेज करती है। इसे नैदानिक डाटा के आधार पर अमेरिका में कोविड-19 के इलाज के लिए आपातकालीन अनुमति मिल चुकी है। गिलियड साइंसेज का दवा पर पेटेंट है, लेकिन पेटेंट कानून इस दवा को केवल अनुसंधान उद्देश्यों के लिए विकसित करने की अनुमति देता है न कि व्यावसायिक निर्माण के लिए।

नई दिल्ली। देश में कोरोना महामारी का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है। पिछले 24 घंटे में भारत में कोरोना के 3900 मामले सामने आए हैं और जबकि 195 लोगों अपनी जान गवां चुके हैं। हालांकि इस बीच अच्छी खबर है कि भारत कोविड-19 की दवा बनाने के करीब पहुंच चुका है। हैदराबाद स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी) ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल हो रहे रेमडेसिवीर के लिए स्टार्टिंग मैटेरियल को सिन्थेसाइज्ड (संश्लेषित) किया है, जो दवा बनाने की दिशा में पहला कदम है। आईआईसीटी ने सिप्ला जैसी दवा निर्माताओं के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन भी शुरू किया है ताकि जरूरत पड़ने पर भारत में इसका विनिर्माण शुरू हो सके।

Coronavirus Kit

रेमेडिसविर का निर्माण गिलियड साइंसेज करती है। इसे नैदानिक डाटा के आधार पर अमेरिका में कोविड-19 के इलाज के लिए आपातकालीन अनुमति मिल चुकी है। गिलियड साइंसेज का दवा पर पेटेंट है, लेकिन पेटेंट कानून इस दवा को केवल अनुसंधान उद्देश्यों के लिए विकसित करने की अनुमति देता है न कि व्यावसायिक निर्माण के लिए।

Corona Test

अमेरिका के नैदानिक परीक्षण के परिणाम दिखाते हैं कि रेमेडिसविर को जब संक्रमित मरीजों को दिया गया तो इससे वह औसतन 11 दिन में ठीक हो गए जबकि अन्य दवा से ठीक होने में 15 दिन का समय लगता है। भारत कोविड-19 के इलाज के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सॉलिडैरिटी ट्रायल का हिस्सा है और परीक्षण के लिए दवा की 1000 खुराक प्राप्त हुई हैं।

हर्षवर्धन ने सोमवार को एक बयान में कहा कि आईआईसीटी द्वारा केएसएम का संश्लेषण प्राप्त किया गया है और भारतीय उद्योग के लिए प्रौद्योगिकी प्रदर्शन हो रहे हैं। फैविपीरावीर (फ्लू की दवा) के बाद कोविड-19 के इलाज के लिए यह एक और आशाजनक दवा है। सीएसआईआर नैदानिक परीक्षण और भारत में इसे संभावित लॉन्च के लिए निजी क्षेत्र के साथ मिलकर काम कर रहा है।

Oxford University Corona Vaccine

रेमेडिसविर के तीन केएमएस हैं- पायरोल, फुरोन और फॉस्फेट। आईआईसीटी के निदेशक डॉक्टर श्रीवरी चंद्रशेखर ने कहा कि केएसएम का संश्लेषण दवा विकास में एक महत्वपूर्ण चरण है। उन्होंने कहा, ‘केएसएम का संश्लेषण किसी भी दवा के लिए सक्रिय दवा घटक विकसित करने के लिए पहला कदम है। रेमेडिसविर के लिए ये प्रमुख शुरुआती सामग्री भारत में उपलब्ध हैं और रासायनिक कंपनियां इनका निर्माण कर सकती हैं। अन्य अभिकर्मकों (रीजेंट) को दूसरे देशों से लिया जा सकता है। हमने जनवरी के अंत में जब चीन में परीक्षण शुरू हुए थे, तब रेमेडीसविर के केएसएम के लिए काम करना शुरू कर दिया था।’